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41 साल : अथक परिश्रम

भाजपा स्थापना दिवस पर विशेष धर्मपाल सिंह केंद्र की सत्ता संभाल रही भारतीय जनता पार्टी जो देश की 18 राज्यों में भी सत्ता पर काबिज है, आज अपना 41वां स्थापना दिवस मना रही है। देश के राजनीतिक इतिहास में भारतीय जनता पार्टी ने सेवाभाव के साथ कदम रखा और सत्ता को जनता की सेवा का साधन मात्र मानकर यात्रा शुरू की। पार्टी ने देश में 2014 में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता संभाली और आज 18 करोड़ से अधिक सदस्यों के साथ विश्व की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी है। भारतीय जनता पार्टी अपने सेवाभाव, लोकतांत्रिक मूल्यों और देशभक्ति की भावना की वजह से शान से खड़ी है। जनसंघ से लेकर बीजेपी की स्थापना तक श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी, भाजपा के पितृ पुरुष पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी, श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी, माननीय सुंदर सिंह भंडारी जी, आदरणीय कुशाभाऊ ठाकरे जी, माननीय लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सिकंदर बख्त जैसे मनीषी महापुरुषों ने भाजपा को "राष्ट्र प्रथम" का आदर्श दिया है। संगठन के विकास और राजनीतिक वैभव की यात्रा इन्हीं नेताओं के त्याग, तपस्या और बलिदान के कारण सम्भव हुई है। जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में जनसंघ की स्थापना की थी। 1952 के लोकसभा चुनाव में जनसंघ को सिर्फ 3 सीटें मिलीं। फिर 1977 में इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया था लेकिन बाद में जनता पार्टी के जनसंघ धड़े ने 6 अप्रैल 1980 में "भारतीय जनता पार्टी" नाम से अलग पार्टी बनायी। बीजेपी के स्तंभ पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी के पहले अध्यक्ष बने। लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे। पार्टी ने उनके नेतृत्व में सत्ता के शिखर तक पहुंचने का सपना देखा था। शुरुआत कुछ खास नहीं रही, चार साल के बाद भाजपा ने 1984 के लोकसभा चुनाव में महज दो सीटें जीती। इसके बाद पार्टी की कमान लालकृष्ण आडवाणी को सौंपी गई। 1988 में हिमाचल के पालमपुर में बीजेपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में अयोध्या मुद्दे को पार्टी के एजेंडे में शामिल किया गया। आडवाणीजी की सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा ने भाजपा के जनाधार को और व्यापक बनाया। भाजपा ने लोकसभा में 1989 में 85 से बढ़कर 1991 में 120 तथा 1996 में 161 सीटें प्राप्त कीं और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।लोकसभा सीट लखनऊ से जीतकर आये अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पहली बार भाजपा सरकार ने 1996 में शपथ ली, परन्तु पर्याप्त समर्थन के अभाव में यह सरकार मात्र 13 दिन ही चल पाई। इसके बाद 1998 के आम चुनावों में भाजपा ने 182 सीटों पर जीत दर्ज की और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार ने शपथ ली। 13 महीने के बाद AIDMK द्वारा समर्थन वापस लिए जाने के कारण सरकार एक वोट से हार गई थी। तब अटल जी ने प्रत्युत्तर में कहा था -'आज आप हमारा उपहास उड़ा लें, लेकिन एक वक्त आएगा जब लोग आपका उपहास उड़ाएंगे।’ दरअसल विपक्ष को यह जवाब उन्होंने तब दिया था जब उनके त्यागपत्र के एलान पर विपक्षी बेंचों से मेजें थपथपाई जाने लगी थीं। उन्होंने यह भी कहा था कि पूरे देश में कमल खिलेगा। 1999 में देश में फिर से आम चुनाव हुए भाजपा ने पुनः 182 सीटें जीतकर राजग तथा अन्य दलों के साथ मिलकर अटल जी के नेतृत्व में फिर से सरकार बनायी। इस कार्यकाल में सरकार ने विकास के अनेक नये कीर्तिमान स्थापित किये। पोखरण परमाणु विस्फोट, अग्नि मिसाइल का सफल प्रक्षेपण, कारगिल विजय जैसी सफलताओं से भारत का कद अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर ऊंचा हुआ। राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार, शिक्षा एवं स्वास्थ्य में नयी पहल एवं प्रयोग, कृषि, विज्ञान एवं उद्योग के क्षेत्रों में तीव्र विकास देखने को मिला। इसके बाद 10 साल पार्टी ने विपक्ष की सक्रिय और शानदार भूमिका निभाई। 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी, जो आज ‘सबका साथ,सबका विकास’ की उद्घोषणा के साथ गौरव सम्पन्न भारत का पुनर्निर्माण कर रही है। अंत्योदय, राष्ट्रवाद और सुशासन के बल पर बीजेपी की 4 दशकों की विकास यात्रा क्रमिक और नैसर्गिक है। भाजपा सिद्धांतों और आदर्शों, नैतिक मूल्यों पर आधारित राजनीतिक संगठन है। यह किसी परिवार, जाति या वर्ग विशेष की पार्टी नहीं है। भाजपा को पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित 'एकात्म मानववाद' , सांस्कृतिक राष्ट्रवाद तथा पंचनिष्ठाओं जैसी ही संगत विचारधाराएं वैचारिक रूप से सींच रही है।अगर हम ‘पंचनिष्ठा’ की बात करें तो ये पांच सिद्धांत (पंच निष्ठा) हैं-राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रीय अखंडता, लोकतंत्र, सकारात्मक पंथ-निरपेक्षता (सर्वधर्मसमभाव), गांधीवादी समाजवाद (सामाजिक-आर्थिक विषयों पर गाँधीवादी दृष्टिकोण द्वारा शोषण मुक्त समरस समाज की स्थापना) तथा मूल्य आधारित राजनीति। वहीं एकात्म मानववाद हमें मनुष्य के शरीर, मन, बृद्धि और आत्मा का एकात्म यानि समग्र विचार करना सिखाता है। यह दर्शन मनुष्य के स्वाभाविक विकास-क्रम और उसकी चेतना के विस्तार से परिवार, गाँव, राज्य, देश और सृष्टि तक उसकी पूर्णता देखता है। जनसंघ से लेकर आज की बीजेपी तक जिन वादों को हमेशा पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल किया गया उनके पूरे होने का चक्र भी तेजी से घूमा है। जनसंघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का बलिदान जिस कश्मीर की धारा 370 के लिए हुआ, वो प्रावधान ' एक देश-एक निशान-एक विधान-एक प्रधान' को ध्यान में रख समाप्त किया गया। राम मंदिर पार्टी के मैनिफेस्टो में शुरुआती दिनों से शामिल रहा है। राममंदिर की सच्चाई आज धरातल पर है। शीघ्र ही मंदिर का कार्य पूरा होते ही श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। पार्टी अपने किये गए वादों को पूरा करने की क्षमता रखती है इसलिए इसे ' सबका साथ सबका विकास ' एवं 'पार्टी विथ आ डिफरेंस' भी कहा जाने लगा है। शायद यही वजह है कि पार्टी में जनता का विश्वास 2014 के बाद 2019 में कायम रहा और बीजेपी न सिर्फ केंद्र की सत्ता में दूसरी बार आई बल्कि 18 राज्यों में सरकार भी स्थापित की। भाजपा ने अपने संगठन के अंदर लोकतंत्रीय व्यवस्था को मजबूती से अपनाया है। भाजपा संभवतः अकेला ऐसा राजनीतिक दल है, जो हर तीसरे साल स्थानीय समिति से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक के नियमित चुनाव कराता है। यही वजह है कि चाय बेचने वाला युवक देश का प्रधानमंत्री बना है और इसी तरह सभी प्रतिभावान लोगों का पार्टी के अलग-अलग स्तरों से लेकर चोटी तक पहुंचना संभव होता रहा है। छः साल का केन्द्रीय शासन एवं प्रदेशों में भाजपा की सरकारों ने अन्य दलों की सरकारों की तुलना में अच्छा शासन दिया है। गत तीन वर्षों से नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सकारात्मक सुशासन की प्रक्रिया तीव्र गति से चल रही है। पूर्ण बहुमत, मज़बूत पार्टी संगठन के साथ इच्छाशक्ति हो तो बेहद बड़े और फैसलों को लिया जा सकता है। इन कड़े और बड़े फैसलों के लिए जाने का सिलसिला जारी है और पार्टी इस वक्त अपने मजबूत नेतृत्व पर गर्व कर रही है। व्यवस्थाओं की पुरानी विकृतियों का शमन करने में अभी भी कुछ वक्त लगेगा। वर्ष 2014 में ऐतिहासिक जनादेश प्राप्त कर आये वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को ओजस्वी, निर्णायक तथा विकासोन्मुख नेता के रूप में देखा जाता है। उनका जीवन साहस, संवेदना तथा सतत् कठिन परिश्रम वाला रहा है। उन्होंने निचले स्तर के कार्यकर्ता, एक संगठक तथा अपने गृह राज्य गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने 13 वर्षों के लंबे शासनकाल के दौरान एक प्रशासक के रूप में अपने कौशल का परिचय दिया। यहां उन्होंने जन-हितैषी तथा सक्रिय सुशासन की शुरुआत करते हुए शासन में आमूल परिवर्तन किया। तदोपरांत देश के प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने पूरी लगन और सत्यनिष्ठा के साथ जो काम किये हैं, सराहनीय है। पार्टी में उनका भरपूर साथ दिया है वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह जी ने। भाजपा ने अमित शाह जी के समर्पण, परिश्रम और संगठनात्मक क्षमताओं को सम्मानित कर उन्हें 2014 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया था। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद अमित शाह जी ने पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाने तथा पार्टी के आधार विस्तार हेतु सक्रियता के साथ प्रचार कार्य किया तथा देश के हर राज्य का दौरा किया। उनके इस अभियान के परिणामस्वरूप अट्ठारह करोड़ से भी अधिक सदस्यों के साथ उन्होंने भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक दल बनाया। उनकी राजनीतिक कुशाग्रता, लोगों को साथ में लाने की क्षमता तथा दक्ष चुनाव प्रबंधन की कला सभी को चकित करती है। भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय जेपी नड्डा ने छात्र जीवन से ही राष्ट्र सेवा का व्रत ले रखा है। छात्रसंघ का चुनाव जीत, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सचिव से राजनीतिक पारी का आरम्भ करने वाले नड्डा जी आज भाजपा को नई ऊंचाइयों को ओर ले जा रहे हैं। अभी हाल ही में बंगाल में सम्पन्न हुई उनकी 'परिवर्तन यात्रा' ने आम जनमानस का समर्थन जुटाने का व्यापक स्तर पर सफलता हासिल की है। जिसका परिणाम आगामी चुनाव में अवश्य देखने को मिलेगा। जब भी बीजेपी को सेवा करने का मौका मिला, पार्टी ने सुशासन और गरीबों के सशक्तिकरण पर जोर दिया. पार्टी के सिद्धांतों के अनुरूप भाजपा के ध्येयनिष्ठ कार्यकर्ताओं ने लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा की और समाज सेवा की नई मिसाल भी कायम की। आज भाजपा देश में एक प्रमुख राष्ट्रवादी शक्ति के रूप में उभर चुकी है एवं देश के सुशासन, विकास, एकता एवं अखंडता के लिए कृतसंकल्प है। (लेखक, झारखंड भाजपा संगठन महामंत्री हैं।)

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