किसानों को मिली नई राह, कम लागत में अच्छा मुनाफा दे रही ‘एप्पल बेर’
- किसानों को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार दे रही है अनुदान कौशल राठौर फिरोजाबाद, 09 जनवरी (हि.स.)। जनपद के किसान परम्परागत खेती आलू व गेंहू को दरकिनार कर ‘एप्पल बेर’ की खेती में रूचि दिखा रहे हैं। इसकी खेती किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा दे रही है, साथ ही सरकार भी इस पर अनुदान देकर किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। यही वजह है कि एप्पल बेर की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। फिरोजाबाद जनपद वैसे तो आलू और गेहूं की खेती के लिए जाना जाता है। लेकिन पिछले कई सालों से यह फसलें किसानों के लिए फायदे की बजाए घाटे का सौदा बन गई है। इस घाटे की वजह से किसानों का रुझान अब दूसरी फसलों की खेती की ओर बढ़ रहा है। फिरोजाबाद के किसान अब एप्पल बेर की खेती में रुचि दिखा रहे हैं। करीब तीन साल पहले महज पांच किसानों ने इसकी खेती की शुरुआत की थी। लेकिन आज इसके किसानों की संख्या काफी बढ़ गई है। टूण्डला क्षेत्र के गांव चंडिका निवासी किसान सौदान सिंह ने बताया कि वह पहले गेहूं और आलू की खेती करते थे। लेकिन इन फसलों में पूरी मेहनत व लागत के बाद भी मुनाफा न के बराबर हो रहा था। उन्होंने बताया कि करीब तीन साल पहले उद्यान विभाग के अधिकारियों ने उन्हें एप्पल बेर की खेती के बारे में जानकारी दी। जिसके बाद उन्होंने अपने घर के सामने ही बेर का बाग लगा लिया। इस फसल में केवल पानी लगाना होता है और पेड़ों के पोषण के लिए वह केंचुए की खाद का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने बताया कि यह बेर साधारण बेर से बिल्कुल अलग होता है। साधारण बेर छोटा होता है लेकिन यह बेर कम से कम 50 ग्राम वजन का होता है। उन्होंने बताया कि पेड़ों पर फल तो आ गये हैं, लेकिन जनवरी के अंतिम सप्ताह तक यह पककर बिक्री के लिये तैयार हो जायेंगे। सौदान सिंह के अनुसार इस खेती से करीब एक लाख रुपया प्रति बीघा का मुनाफा कमाते हैं। इसलिये वह अन्य किसानों को भी इसकी बागवानी करने की सलाह देते हैं। जिला उद्यान अधिकारी विनय कुमार यादव का कहना है कि वह किसानों को ऐप्पल बेर की खेती करने की सलाह देते हैं। इस बागवानी को प्रोत्साहित करने के मकसद से सरकार मुख्यमंत्री फलोद्यान योजना के तहत ढाई लाख रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान भी दे रही है। इस बागवानी में बढ़ते मुनाफे का ही नतीजा है कि तीन साल पहले केवल पांच किसानों ने ही ऐप्पल बेर के बाग लगाए थे। लेकिन अब ऐसे किसानों की संख्या बढ़कर 50 से 60 हो गयी है। उद्यान अधिकारी का मानना है कि इस बागवानी के जरिये किसान चार से पांच लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की आमदनी कर सकता है। हिन्दुस्थान समाचार/कौशल राठौर/राजेश-hindusthansamachar.in