2030 तक सम्पूर्ण साक्षरता का लक्ष्य : निशंक
नई दिल्ली, 08 सितम्बर (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को कहा कि हमारा लक्ष्य 2030 तक सम्पूर्ण साक्षरता प्राप्त करना है। निशंक ने विश्व साक्षरता दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए कहा कि सब जानते है कि निरक्षरता एक विश्वव्यापी समस्या है। ऐसे में पूरे विश्व में निरक्षरता उन्मूलन के प्रयासों पर सन 1965 से विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट 2017-18 के अनुसार दुनिया भर के भर के कुल निरक्षर प्रौढ़ में से 35 प्रतिशत भारत में हैं, हालांकि भारत ने प्रौढ़ साक्षरता दर में लगातार प्रगति की है। भारत में वर्ष 1961 में वयस्क साक्षरता दर 27.8 प्रतिशत, 1981 में 40.8 प्रतिशत तथा 2011 में 69.3 प्रतिशत रही। एनएसएसओ के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017-18 में गैर साक्षरता का प्रतिशत 26.1 प्रतिशत रहा तो वहीं वयस्क साक्षरता दर 73.9 प्रतिशत रहा। हम 2030 तक शत प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कृतसंकल्प हैं। उन्होनें बताया कि यह लक्ष्य शिक्षा मंत्रालय के नए कार्यक्रम 'पढ़ना-लिखना अभियान' के द्वारा पूरा किया जाएगा। 'पढ़ना-लिखना अभियान' के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य देश भर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के निरक्षर और अंकीय ज्ञानविहीन 57 लाख प्रौढ़ों को प्रकार्यात्मक साक्षरता प्रदान करना होगा। इस लक्ष्य में ज्यादातर महिलाएं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और समाज के अन्य वंचितवर्ग शामिल किया जाएगा। हाल की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, इस योजना में, 60 प्रतिशत से कम महिला साक्षरता दर वाले जिलों को प्राथमिकता दी जाएगी और इस कार्यक्रम का फोकस चार माह में बुनियादी साक्षरता घटक पर होगा तथा एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट (आकांक्षी जिलों) को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रौढ़ शिक्षा की नई योजना के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय कौशल विकास, संस्कृति, सूचना प्रौद्योगिकी, वित्त, खेल और युवा कल्याण, एनसीसी और एनएसएस योजनाओं, गैर सरकारी संगठन व सिविल सोसायटी और सीएसआर की योजनाओं के रूपांतरण पर भी अपेक्षित बल दिया जाएगा। साथ ही स्वयं सहायता समूहों, स्वयंसेवी और अन्य समुदाय आधारित संगठनों के गठन और उसकी भागीदारिता को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। डॉ निशंक ने कहा कि इस योजना के तहत नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओपन स्कूलिंग द्वारा प्रौढ़ शिक्षार्थियों के लिए वर्ष में तीन बार बुनियादी साक्षरता मूल्यांकन भी किया जाएगा। उन्होनें राज्य सरकारों, सिविल सोसायटी संगठनों, कॉर्पोरेट निकायों, बुद्धिजीवियों और सह-नागरिकों सहित सभी हितधारकों कहा आह्वाहन करते हुए कहा कि सभी भारत को पूर्ण रूप से 'साक्षर भारत - आत्मनिर्भर भारत' बनाने की दिशा में एकजुट हो कर आगे बढ़ें। उल्लेखनीय है कि देश में प्रौढ़ शिक्षा के लिए जो प्रमुख योजनाएं चल रहीं हैं वो हैं - किसान की कार्यात्मक साक्षरता परियोजना, वयस्क महिलाओं के लिए कार्यात्मक साक्षरता , राष्ट्रीय वयस्क शिक्षा कार्यक्रम, ग्रामीण कार्यात्मक साक्षरता परियोजना और कार्यात्मक साक्षरता का व्यापक कार्यक्रम और राष्ट्रीय साक्षरता मिशन। इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे, उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता सचिव अनीता करवाल, भारत में यूनेस्को के प्रतिनिधि मामे ओमर डिओप, प्रौढ़ शिक्षा संयुक्त सचिव एवं राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण के महानिदेशक विपिन कुमार, जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया एवं नीपा के कुलपति, शिक्षा मंत्रालय एवं स्वायत्त संगठनों के अधिकारी भी उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार/सुशील-hindusthansamachar.in