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शनिवार को पश्चिम बंगाल में आ सकती है सीएपीएफ की 12 कंपनी

कोलकाता, 19 फरवरी (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में आसन्न विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। उसके पहले चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है जिसकी वजह से राज्य में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। शनिवार को ही केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 12 कंपनियां बंगाल आ रही हैं जिसकी तैनाती चुनावी हिंसा के लिए कुख्यात बीरभूम समेत अन्य जिले में की जाएगी। चुनाव की तारीखों की घोषणा होने से पहले ही बंगाल में सेंट्रल फोर्स का आना और जिले में तैनाती बड़े संकेत हैं। दरअसल बीरभूम जिले के तृणमूल अध्यक्ष अनुव्रत मंडल हैं जो राजनीतिक हिंसा के लिए कुख्यात रहे हैं। जिले में विपक्ष के कार्यकर्ताओं की हत्या, हत्या की कोशिश, रंगदारी वसूली समेत पुलिस प्रशासन पर नियंत्रण के लिए भी वह कई बार विवादों में घिरे रहे हैं। बीरभूम जिले में भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेताओं की रैलियां और सभाएं हो चुकी हैं जिसके बाद भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले हुए हैं। ऐसे में सबसे पहले इसी जिले में सेंट्रल फोर्स की तैनाती ने राज्य प्रशासन के कान खड़े कर दिए हैं। मार्च-अप्रैल के बीच ही पश्चिम बंगाल में विधानसभा का चुनाव होगा। इस बार मतदान केंद्रों की संख्या 78000 से बढ़कर एक लाख से अधिक हो गई है इसलिए कम से कम 800 कंपनी केंद्रीय बलों की तैनाती होगी। 2016 के विधानसभा चुनाव के दौरान 725 कंपनी केंद्रीय बलों की तैनाती हुई थी लेकिन इस बार अतिरिक्त संख्या में सेंट्रल फोर्स के जवानों को मतदान केंद्रों की सुरक्षा में लगाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 294 विधानसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा लगातार चुनाव से पहले ही सेंट्रल फोर्स की तैनाती की मांग करती रही है। हिन्दुस्थान समाचार/ओम प्रकाश/सुनीत

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