
पटना। बिहार का सेनारी नरसंहार कोई नहीं भूल सकता। 18 मार्च 1999 की वो रात काली रात बन गई। भेड़-बकरियों की तरह नौजवानों की गर्दनें काटी जा रही थी। एक की कटने के बाद दूसरा अपनी बारी का इंतजार कर रहा था। वहीं तड़प-तड़पकर सभी कुछ पलों में ही मौत क्लिक »-www.ibc24.in