लोकतंत्र रक्षक सेनानी  महबूब लारी अभी भी नहीं भूल पाते आपातकाल को
लोकतंत्र रक्षक सेनानी महबूब लारी अभी भी नहीं भूल पाते आपातकाल को

लोकतंत्र रक्षक सेनानी महबूब लारी अभी भी नहीं भूल पाते आपातकाल को

-कर्पूरी ठाकुर को नेपाल ने सन्देशा देकर लौट रहे थे तो हो गए गिफ्तार गाजियाबाद, 25 जून (हि.स.)। आज से ठीक 45 साल पहले कांग्रेस पार्टी की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल घोषित किया था जिसके बाद देश की राजनीति की दशा और दिशा दोनों ही बदल गए थे। इस दौरान आपातकाल का विरोध कर जेल जाने वालों में महबूब आलम लारी भी लोकतंत्र रक्षक सेनानी हैं, जो उस समय विभिन्न वेश बदलकर पुलिस से छुपे रहे, यहां तक कि समाजवादी नेता रामनरेश कुशवाहा का संदेशा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को देने के लिए नेपाल तक पहुंच गए थे, जब वह वापस लौट रहे थे तो पार्टी के आदेश के बाद उन्होंने देवरिया कोतवाली में चार अन्य साथियों के साथ गिरफ्तारी दी थी। उस समय उनकी आयु बमुश्किल 15 साल रही होगी । उन्हें इस मामले में एक साल की सजा भी हुई थी । महबूब लारी मूल रूप से देवरिया जिले के लार कस्बे के निवासी हैं, लेकिन अब वह गाजियाबाद आकर बस गए हैं। आपातकाल को याद करके वह आज भी सिहर उठते हैं । यादों के झरोखों से वह बताते हैं कि 25 जून 1975 से पहले चौधरी चरण सिंह ने भारतीय क्रांति दल डॉक्टर अब्दुल जलील फरीदी ने मुस्लिम मजलिस तथा लोकबंधु राजनारायण ने सोशलिस्ट पार्टी का विलय कर तीसरे दल का गठन किया था। एक सर्वदलीय रैली भी दिल्ली में बुलाई गई थी जिसमें जयप्रकाश नारायण ने एक नारा दिया था कि सिंहासन खाली करो जनता आती है लेकिन इसी दौरान राज नारायण के पक्ष में कोर्ट का फैसला इंदिरा गांधी के खिलाफ आ गया जिस कारण घबराकर इंदिरा गांधी ने आपातकाल घोषित कर दिया। साथ ही उसी रात में इंदिरा गांधी ने समूचे विपक्ष के नेताओं को गिरफ्तार करा लिया था यहां तक कि कांग्रेस भी दो खेमों में बट गई थी जब उस समय के कांग्रेसी सांसद चंद्रशेखर जेपी से मिलने गए तो उनको गिरफ्तार कर लिया गया । इतना ही नहीं दिल्ली में नसबंदी को लेकर मुस्लिम समाज को विशेष टारगेट पर लिया गया था नसबंदी का लोगों में इतना खौफ हो गया था लोगों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया था कि कहीं उनके बच्चों की जबरन कोई नसबंदी ना करा दे । बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने नेपाल में जाकर शरण ले ली थी उस दौरान उनपर सोशलिस्ट पार्टी गोरखपुर, मऊ, बलिया व देवरिया को पार्टी का संदेश जिम्मेदारी दी गई थी वह काम को चोरी-छिपे कर रहे थे और छह महीने तक पुलिस के हाथ नहीं आए । लारी कहते हैं कि इसी दौरान रामनरेश कुशवाहा का उन्हें मैसेज मिला कि उन्हें एक संदेशा किसी भी सूरत में नेपाल में शरण लिए पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के पास पहुंचाना है जिसके बाद वह वेश बदलकर नेपाल पहुंच गए और विराटनगर में कर्पूरी ठाकुर को देखकर वापस लौट आए। इसी दौरान यह घोषणा हो गई थी कि जो जहां है वही गिरफ्तारी दे दे तब उन्होंने देवरिया में गिरफ्तारी दी। देवरिया जेल में मुलाकात भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्रा और देश के वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय से भी उनकी मुलाकात हुई । लारी बताते हैं कि इस मामले में एक महीने की सजा हुई थी । जब सजा खत्म हो गई तो राज नारायण जी ने उन्हें बुलाकर उनके कार्य से खुश होकर अपने साथ लगा दिया था । उनका कहना है कि आपातकाल जनता के लिए काफी कष्टदायक था और विभिन्न तरीकों से जनता को परेशान किया गया था। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कांग्रेश को उसके कृत्य की सजा जनता दे चुकी हैं और इंदिरा गांधी के पौत्र राहुल गांधी इस को लेकर माफी मांग चुके हैं ले अब जनता को कांग्रेस को माफ कर देना चाहिए । हिन्दुस्थान समाचार /फरमान अली ....-hindusthansamachar.in

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