तमिलनाडु से लौटे मानसिंह और साथियों को मनरेगा से मिला गांव में ही रोजगार
तमिलनाडु से लौटे मानसिंह और साथियों को मनरेगा से मिला गांव में ही रोजगार

तमिलनाडु से लौटे मानसिंह और साथियों को मनरेगा से मिला गांव में ही रोजगार

रायपुर, 3 जून (हि.स.)। श्रमिक, कामगार आंखों में नये सपने लिए काम की तलाश में हर साल सैकड़ों मील दूर घर छोड़ कर चले जाते हैं। नारायणपुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित टेमरू गांव के मानसिंह और उसके दो साथी रामसिंह और कुम्बूलाल भी ऐसे ही सपनों के साथ अपना घर छोड़कर तमिलनाडु राज्य निकल पड़े थे। कम पढे-लिखे लोगों को अच्छा काम मिलने के साथ ही शहरों में रहने-खाने की दिक्कत भी होती है, यह जानते हुए भी वह अच्छी कमाई की आस लिए निकल पड़े। कुछ दिन बीते ही थे कि कोरोना महामारी लॉकडाउन के चलते उनके सामने नया संकट आ खड़ा हुआ, काम-काज बंद हो गया। संकट की घड़ी में उन्हें एहसास हुआ कि घर में हर सहूलियत की चीजें आसानी मिल जाती हैं। मानसिंह और उनके साथियों को राशन खत्म होने से खाने-पीने की भी समस्या होने लगी। कहीं से कोई मदद की उम्मीद की किरण नजर नहीं आयी। तब छत्तीसगढ़ सरकार से उन्होंने गुहार लगायी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मानसिंह जैसे हजारों प्रवासी श्रमिकों, कामगारों को वापस लाने के लिए अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया। संकट की घड़ी में छत्तीसगढ़ सहित देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी श्रमिकों को स्पेशल ट्रेन, बस आदि से सकुशल, सुरक्षित वापस घरों तक लाने का काम किया। मुख्यमंत्री न सिर्फ कामगारों को घर वापस लेकर आए बल्कि उनके रोजगार का प्रबंध भी किया। ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां में छूट दी गई जिससे ग्रामीणों को काम मिले और उनकी रोजी-रोटी की समस्या दूर हो। सरकार ने अपने प्रवासी श्रमिकों को उनके निवास स्थल में ही मनरेगा के तहत रोजगार मुहैय्या कराया है। इससे उनकी रोजी-रोटी की समस्या दूर हो गई है। मानसिंह ने इसके लिए मुख्यमंत्री का शुक्रिया अदा किया है। अब मानसिंग और उनके साथी अपने गांव ही में मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार / गेवेन्द्र पटेल-hindusthansamachar.in

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