युवा दिमाग को दिशा देना समाज का सामूहिक दायित्व : मनीष सिसोदिया
युवा दिमाग को दिशा देना समाज का सामूहिक दायित्व : मनीष सिसोदिया

युवा दिमाग को दिशा देना समाज का सामूहिक दायित्व : मनीष सिसोदिया

-टेक महिंद्रा फाउंडेशन द्वारा आयोजित वेबिनार में युवाओं के लिए बेहतर दुनिया पर बोले सिसोदिया नई दिल्ली, 03 जून (हि.स.)। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने युवाओं के लिए बेहतर दुनिया के निर्माण पर जोर दिया है। उन्होंने टेक महिंद्रा फाउंडेशन द्वारा बुधवार को आयोजित वेबिनार को संबोधित किया। 'अनलॉकिंग माइंड्स कीज: टू द लॉकर रूम' विषय पर विचार रखते हुए सिसोदिया ने कहा कि युवा दिमाग को दिशा देना समाज का सामूहिक दायित्व है। उन्होंने युवाओं के सामने मौजूद चुनौतियों और उससे निपटने के लिए उन्हें सक्षम बनाने की दिशा में दिल्ली सरकार के प्रयासों की भी जानकारी दी। वेबिनार में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से शिक्षकों, शिक्षाविदों, काउंसिलर्स, अभिभावकों और विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। सिसोदिया ने लैंगिक भेदभाव की चर्चा करते हुए कहा कि एक लड़की बताती है कि किस तरह प्रतिदिन उसके भाई को घर में हर मामले में ज्यादा महत्व दिया जाता है। भाई को अच्छा भोजन परोसा जाता है जबकि उससे एक लड़की होने के कारण हर चीज में एडजस्ट करने की उम्मीद की जाती है। सिसोदिया के अनुसार उस लड़की ने यह भी बताया कि हैप्पीनेस क्लासेस के कारण उसे अपनी मानसिक शांति बनाए रखने और अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिलता है। मौजूदा चुनौतियों और उनसे निपटने के तरीकों की चर्चा करते हुए सिसोदिया ने कहा कि हमारे देश में एक चौथाई बच्चे अवसाद के शिकार हैं। यहां तक कि हर घंटे देश में एक बच्चा आत्महत्या कर लेता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में अच्छा करने के निरंतर दबाव में बच्चे ऐसे चरम कदम उठाने को मजबूर होते हैं। किशोरावस्था किसी व्यक्ति के जीवन के प्रारंभिक वर्ष होते हैं। हार्मोनल परिवर्तन, शैक्षणिक अपेक्षाओं, सहकर्मी दबाव के मामले में किशोरों को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार के 16 लाख छात्रों को स्कूल में कक्षाओं के शुरू होने से पहले माइंडफुलनेस का अभ्यास कराया जा रहा है। हमारे उद्यमिता पाठ्यक्रम के कारण बच्चे रोज नए विचारों के साथ स्कूल आ रहे हैं। पुराने किस्म की शिक्षा और रटत शिक्षा ने हमारे छात्रों को डर में जीने के लिए प्रेरित किया है, लेकिन उद्यमिता पाठ्यक्रम छात्रों को नए विचारों के साथ आने में मदद करता है। सिसोदिया ने दिल्ली सरकार द्वारा अपनाए गए दो प्रमुख कार्यक्रमों के स्वरूप पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि युवा छात्रों को प्रभावित करने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए हैप्पीनेस करिकुलम चलाया जाता है। इसमें कक्षा नर्सरी से कक्षा 8 तक के लिए माइंडफुलनेस कक्षाएं शामिल हैं। उद्यमशीलता मानसिकता पाठ्यक्रम है जो छात्रों को जोखिम लेने, उद्यम करने और विकसित पेशेवर के रूप में विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। सिसोदिया ने कहा कि बच्चे हमारे पास आते हैं और हैप्पीनेस करिकुलम के कारण मिले अवसरों के संबंध में शिक्षकों और साथियों के साथ अपने अनुभव साझा करते हैं। सिसोदिया ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर एक छात्र की मां ने मुझे बताया कि उसका बेटा अब घर की वित्तीय स्थिति के प्रति अधिक संवेदनशील हो गया है। अब वह खुद खाना खाने से पहले मां से पूछता है कि उसके लिए खाना बचा है या नहीं। यहां तक कि वह बच्चा किचन में जाकर सुनिश्चित करता है कि मां के लिए भोजन उपलब्ध है। सिसोदिया के अनुसार यह हैप्पीनेस क्लास का प्रभाव है। हिन्दुस्थान समाचार /प्रतीक खरे-hindusthansamachar.in

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