हालात नहीं बदले तो राज्य का शासन हाथ में लेना होगा : राज्यपाल
हालात नहीं बदले तो राज्य का शासन हाथ में लेना होगा : राज्यपाल

हालात नहीं बदले तो राज्य का शासन हाथ में लेना होगा : राज्यपाल

कोलकाता, 28 सितम्बर (हि. स.)। राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच तकरार बढ़ने लगा है। राज्यपाल ने राज्य शासन पर प्रहार करते हुए कहा है कि उन्हें राज्य की शक्तियां अपने हाथ लेने पर विचार करना होगा। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीजीपी वीरेंद्र को लिखे पत्र के जवाब को गैर-जिम्मेदार और कठोर बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि पुलिस सत्ताधारी तृणमूल के कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि संविधान की रक्षा नहीं की गई, तो मुझे ऐक्शन लेना होगा। राज्यपाल के दफ्तर को लंबे समय से इग्नोर किया जा रहा है। मैं संविधान के अनुच्छेद 154 पर विचार करने को मजबूर हो जाऊंगा। अपना फोन टैप करने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल ने यह भी कहा कि तृणमूल सरकार की ओर से इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के कारण वह वॉट्सऐप कॉल के जरिए बात करने पर मजबूर हैं। राज्यपाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल एक पुलिस स्टेट में बदल चुका है। पुलिस शासन और लोकतंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते। राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। माओवादी उग्रवाद अपना सिर उठा रहा है। आतंकवादी मॉड्यूल भी राज्य में सक्रिय हैं। उल्लेखनीय है कि जुलाई 2019 में राज्यपाल पद पर नियुक्ति के बाद से ही धनखड़ और ममता सरकार के बीच टकराव रहा है। राज्यपाल ने इसी महीने डीजीपी विरेंद्र को राज्य की कानून-व्यवस्था पर चिंता जाहिर करते हुए पत्र लिखा था। डीजीपी की ओर से दो लाइन के जवाब के बाद उन्होंने 26 सितम्बर को डीजीपी को मिलने के लिए बुलाया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 26 सितम्बर को राज्यपाल को पत्र लिखकर उनसे संविधान के दायरे में काम करने की सलाह दी थी। उन्होंने डीजीपी को लिखे पत्र पर नाखुशी जाहिर की थी। इस बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने बजटीय आवंटन बढ़ाने के संबंध में राजभवन द्वारा किए गए अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है। सोमवार को एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल के कार्यालय ने हाल के दिनों में राज्य सचिवालय को कई बार पत्र लिखकर रोजमर्रा के खर्च के लिए 53.5 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि मांगी थी। लेकिन राज्य सरकार ने अतिरिक्त राशि देने में असमर्थता जताते हुए दावा किया है कि कोरोना महामारी के दौर में मितव्ययिता और आत्मसंयम का रास्ता अपनाया है। दरअसल राज्य के वित्त विभाग ने राजभवन के बजट में 50 प्रतिशत की कटौती करते हुए वित्त वर्ष 2020-21 के लिए उसे 16 करोड़ रुपये तय किया है। इससे राज्यपाल ने नाराजगी जताई थी। हिन्दुस्थान समाचार/ओम प्रकाश/सुगंधी-hindusthansamachar.in

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