खड़गपुर के शोधार्थियों ने विकसित की मौसम पूर्वानुमान प्रणाली
खड़गपुर के शोधार्थियों ने विकसित की मौसम पूर्वानुमान प्रणाली

खड़गपुर के शोधार्थियों ने विकसित की मौसम पूर्वानुमान प्रणाली

कोलकाता, 18 जुलाई (हि. स.)। समुद्र से सटे क्षेत्रों में बसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में किसानों को लगातार होने वाले नुकसान से बचाने के लिए आईआईटी खड़गपुर के अनुसंधानकर्ताओं ने जलवायु संबंधी जोखिमों को कम करने के लिये एक उन्नत मौसम पूर्वानुमान प्रणाली विकसित की है। आईआईटी खड़गपुर के प्रवक्ता ने शनिवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि संस्थान ने भारत मौसम विज्ञान विभाग के साथ मिलकर किसानों को विभिन्न मौसमी परिस्थितियों में उत्पादन बढ़ाने के लिये कृषि-परामर्श देना भी शुरू कर दिया है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा प्रायोजित दो परियोजनाएं- ‘ग्रामीण कृषि मौसम सेवा’ और ‘अंतरिक्ष, कृषि मौसम विज्ञान और भू-आधारित पर्यवेक्षण का इस्तेमाल कर कृषि उत्पादन पूर्वानुमान लगाना’ –किसानों को आर्थिक फायदा दिलाने के लिये उन्हें मौसम संबंधी जानकारी उपलब्ध कराती हैं। संस्थान के कृषि एवं खाद्य अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसर दिलीप कुमार स्वैन ने कहा कि कृषि पूर्वानुमान में फसल चयन, बुवाई का समय, जमीन को तैयार करने और अपज आदि की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। यह भविष्य के मौसम और खास जगह पर जमीन के चरित्र पर आधारित है। किसानों को खाद, सिंचाई, कीटनाशक देने के बारे में हर फसल चक्र में प्रत्येक हफ्ते जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। उन्होंने कहा कि पांच दिन के मौसम पूर्वानुमान पर आधारित कृषि परामर्श हर हफ्ते मंगलवार और शुक्रवार को तैयार कर किसानों के मोबाइल फोन पर भेजा जाता है। यह परामर्श अभी बांग्ला भाषा में पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मेदिनीपुर, झाड़ग्राम, बांकुड़ा, बीरभूम और पुरुलिया जिलों के करीब तीन लाख किसानों को भेजा जा रहा है। दरअसल समुद्र के किनारे बसे होने की वजह से पश्चिम बंगाल में समय-समय पर भीषण चक्रवाती तूफान आता रहता है जिसके कारण जान का नुकसान होने के साथ किसानों की फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो जाती हैं। माना जा रहा है कि शोधार्थियों की इस खोज के कारण किसान लाभान्वित होंगे। हिन्दुस्थान समाचार/ओम प्रकाश-hindusthansamachar.in

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