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कोई वोट देने के अपने अधिकार की वजह से मौत के घाट उतारा जाए, इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती : राज्यपाल

कोलकाता, 13 मई (हि. स.)। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चिट्ठी पर पलटवार करते हुए कहा है कि जब राज्य में लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के कारण मौत के घाट उतारे जा रहे हों, तब उसकी अनदेखी कर खामोश नहीं रहा जा सकता। दरअसल चुनाव बाद हिंसा को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने लगातार राज्य प्रशासन पर सवाल खड़ा किए थे और अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की थी। इसे लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीखी चिट्ठी लिखते हुए कहा था कि राज्यपाल स्थापित प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे हैं। जनप्रतिनिधियों से बात करने के बजाय सीधे अधिकारियों से बात कर रहे हैं। इससे उन्हें बाज आनी चाहिए। साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि राज्यपाल का हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा राज्य सरकार की सहमति के बगैर तय किया जा रहा है। इस पर गुरुवार सुबह राज्यपाल ने ट्विटर पर जवाब दिया है। साथ ही उन्होंने सीएम को जवाबी चिट्ठी भी लिखी है जिसकी प्रति उन्होंने ट्विटर पर डाली है। गवर्नर ने कहा है कि आज जब संकट का समय है तब ममता बनर्जी को राज्यपाल सहित सभी हित धारकों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत थी लेकिन वह है चुनाव बाद हिंसा के बचाव के लिए कमर कसकर मैदान में उतर चुकी हैं। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया है कि दोनों ही संवैधानिक प्रतिनिधि होने के नाते संविधान के प्रति जवाबदेह हैं। राज्यपाल ने कहा है कि मुझे यकीन है मुख्यमंत्री संविधान को मानेंगी और अपने शपथ के अनुसार काम करेंगी। उन्होंने कहा कि पांच राज्यों में चुनाव हुए लेकिन चार राज्यों में हिंसा की एक भी घटना नहीं हुई जबकि बंगाल में राजनीतिक विरोधियों के साथ हिंसा और दमन लगातार जारी है। ऐसे परिदृश्य को मैं कैसे नजरअंदाज कर सकता हूं जब लोगों को अपनी पसंद के मुताबिक मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए जीवन के अधिकार से वंचित कर मौत के घाट उतार दिया जाए? यह लोकतंत्र की हत्या है। हिन्दुस्थान समाचार/ओम प्रकाश/गंगा

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