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नारद मामला : सीएम और कानून मंत्री का हलफनामा लेने से हाईकोर्ट का इनकार

कोलकाता, 09 जून (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने मुख्यमंत्री और कानून मंत्री का हलफनामा स्वीकार नहीं किया। मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश राजेश बिंदल की अगुवाई वाली छह सदस्यीय वृहत्तर पीठ में हो रही सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कानून मंत्री मलय घटक की ओर से हलफनामा दाखिल करने का आवेदन राकेश द्विवेदी नाम के अधिवक्ता ने किया। हालांकि केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया और कहा कि इस इसकी समय अवधि खत्म हो चुकी है। इसके बाद मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश राजेश बिंदल ने कहा कि हलफनामा दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। फिलहाल एक पक्ष का तर्क पूरा हो चुका है। इसीलिए नए सिरे से हलफनामा दाखिल करने का कोई औचित्य नहीं है। राकेश द्विवेदी ने कहा कि गत दो जून को अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया गया था। आखिर हम लोग क्यों दाखिल नहीं कर सकते हैं ? इसके बाद तुषार मेहता ने कहा कि जब मैं न्यायालय में अपना पक्ष रख रहा था तब मैंने इन नेताओं के पक्ष में हलफनामा की अपील की थी लेकिन तब किसी ने नहीं सुनी और अब जबकि सुनवाई पूरी होने चली है तो अपनी कमी दूर करने के लिए पहल की जा रही है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने मुख्यमंत्री और कानून मंत्री के पक्ष में नए सिरे से हलफनामा को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है। उल्लेखनीय है कि सीबीआई के हाथों नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में मंत्री फिरहाद हकीम, सुब्रत, मुखर्जी पूर्व मेयर शोभन चटर्जी और पूर्व मंत्री मदन मित्रा की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीबीआई दफ्तर में जाकर बैठ गई थीं और निचली कोर्ट में सुनवाई के दौरान कानून मंत्री मलय घटक भी जा पहुंचे थे जिससे जांच को प्रभावित करने और दबाव बनाने के आरोप लगे थे। हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश/मधुप

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