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ममता बनर्जी की राजनीतिक बयानबाजी में भाषा की मर्यादा गिरने पर बुद्धिजीवियों ने जताई चिन्ता

कोलकाता, 26 फरवरी (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में चुनाव के पहले राजनीतिक दलों ने अपनी फिज़ा बनाने के लिए हर तरह के हथकंडे बनाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। भारतीय जनता पार्टी के शीर्षस्थ नेता राज्य में सरकार के गठन के लक्ष्य के साथ बड़े पैमाने पर जनसंपर्क व चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। भाजपा के हर सवाल का जवाब देने के लिए तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने अकेले ही मोर्चा संभाल रखा है। आरोप - प्रत्यारोप के बीच जुबानी जंग इतनी तेज है कि ममता भाषा की मर्यादा ही भूलती जा रही हैं। राजनीतिक बयानबाजी में भाषा की मर्यादा तोड़ने पर विद्वान लोगों ने चिंता जताई है। चुनाव में इस तरह की भाषा की मर्यादा भंग होने के संबंध में राजनीतिक विश्लेषक सौरिन भट्टाचार्य ने कहा कि राजनीति में किसी के चेहरे अथवा शरीर की बनावट को लेकर टिप्पणी करना अशोभनीय होता है लेकिन ममता वही कर रही हैं। राजनीतिक नेताओं की भाषा ही उनकी मानसिकता का परिचायक होती हैं। एशियाश्री तुषार सील ने कहा कि ममता बनर्जी की उम्र बढ़ रही है और वह काफी परेशानी में रहती हैं। इसलिए इस तरह की टिप्पणी कर रही है। उन्होंने कहा कि अमित शाह को मोटा भाई ममता इसलिए कहती हैं ताकि शाह अपनी शारीरिक स्वस्थता का विशेष तौर पर ख्याल रखें। साहित्यकार तिलोत्तमा मजूमदार ने कहा कि राजनीतिक विरोध अपनी जगह पर है लेकिन किसी के चेहरे को लेकर इस तरह से कटाक्ष करना ठीक है। शिक्षाविद् तथा राज्य भाजपा कमेटी के सदस्य डॉ. मोहित रॉय ने "हिन्दुस्थान समाचार" से विशेष बातचीत में कहा, "मुख्यमंत्री की शालीनता खत्म हो चुकी है। अगर उनकी भाषा इस तरह की है तो उनकी पार्टी के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं की भाषा कैसी होगी और उनकी मानसिकता कैसी होगी, इस बारे में आसानी से जाना जा सकता है।" दरअसल, दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री ने हुगली जिले के शाहगंज के मैदान प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर हमला बोलते हुए मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ डाली दी थीं। उन्होंने प्रधानमंत्री को झूठा, फरेबी, दंगाबाज, धंधाबाज तक कहा था। उन्होंने नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की तुलना दानव, राक्षस, दैत्य से की थी। इससे पहले वह विभिन्न मंचों से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को चड्ढा, फड्ढा वड्ढा कहा था। इसके पहले भी मुख्यमंत्री कई बार इसी तरह की आपत्तिजनक भाषा में भाजपा नेताओं पर हमला कर चुकी हैं। बुधवार को ममता ने जनसभा में कहा था कि एक दैत्य और एक दानव सरकार चला रहे हैं। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री के शरीर में गंदगी लगी है। यहां तक कि उन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए अभद्र शब्द का भी प्रयोग किया था। राजनीतिक बयानबाजी के गिरते स्तर को लेकर वाममोर्चा के चेयरमैन विमान बोस ने मुख्यमंत्री के बयानबाजी की तीखी निंदा की थी। विमान बोस ने कहा था कि किसी को इस तरह से अमर्यादित भाषा में टिप्पणी करना सही नहीं है। उन्होंने राज्यपाल धनखड़ ने कहा था कि संवैधानिक प्रमुख को अपनी भाषा सुधारने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि वह लोगों के लिए आदर्श हैं। जेपी नड्डा ने भी कहा था कि ममता के शासनकाल में बंगाल की संस्कृति रसातल में पहुंचाई जा रही है। ममता बनर्जी की भाषा ही उनकी मानसिकता का परिचय दे रही है। उन्होंने जिस तरह से मेरे नाम को बिगाड़ा और मुझे अपमानित किया क्या वह बंगाल की संस्कृति है? हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश

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