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निर्देशों के साथ विस्तार से व्याख्या करें अधिकारी : हाई कोर्ट

कोलकाता, 15 फरवरी (हि.स.)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि किसी भी प्रशासनिक मामले में एक या दो लाइन में निर्देश नहीं दिया जा सकेगा। इसके लिए निर्देश के साथ व्याख्या देनी होगी कि किस वजह से आदेश दिए जा रहे हैं। हाईकोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच ने जिलाधिकारियों व उनके अधीनस्थ एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को हिदायत देते हुए यह निर्देश दिया है। अदालत ने कहा है कि आपराधिक घटनाओं पर लगाम कसने और शांति की रक्षा के लिए जिलाधिकारी व एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट जरूरी निर्देश दे सकते हैं लेकिन सिर्फ एक दो-लाइनों में निर्देश देना काफी नहीं है। उस निर्देश की व्याख्या करनी होगी ताकि लोगों की स्पष्ट रूप से समझ में आए कि दरअसल क्या कहा गया है। अदालत ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है, जिसकी प्रति सभी जिलाधिकारियों को भेजी जा रही है। जलपाईगुड़ी में भूमि विवाद में संबंधित एक मामले में एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट ने शांति बरकरार रखने का निर्देश दिया था। उस निर्देश को एक पक्ष ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि उनकी बातों को सुने बिना ही निर्देश दे दिया गया। ऐसा निर्देश क्यों दिया गया, इसकी भी व्याख्या नहीं की गई है। न्यायाधीश मोहम्मद निजामुद्दीन ने कहा कि कोई भी निर्देश या फैसला सुनाते वक्त उसकी उचित तरीके से व्याख्या करनी जरुरी है ताकि उसे लेकर किसी के मन में किसी तरह का संशय न रह जाए। हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश/सुगंधी/मधुप-hindusthansamachar.in

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