‘फील्ड ब्वॉय’ से काम शुरू कर शिपिंग का कारोबार, अब समाजसेवा में राज्यपाल से पाया पुरस्कार

‘फील्ड ब्वॉय’ से काम शुरू कर शिपिंग का कारोबार, अब समाजसेवा में राज्यपाल से पाया पुरस्कार
‘फील्ड ब्वॉय’ से काम शुरू कर शिपिंग का कारोबार, अब समाजसेवा में राज्यपाल से पाया पुरस्कार

नैनीताल, 06 नवम्बर (हि.स.)। पंजाब के होशियारपुर के एक गांव के सामान्य परिवार के 11 वर्ष के बालक राहुल अरोड़ा ने दिल्ली में एक कंपनी में ‘फील्ड ब्वॉय’ के रूप में नौकरी की। एक दिन वैसी ही कंपनी का मालिक बन गया। आगे शिपिंग और एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट के कारोबार में बेशुमार दौलत हासिल कर कभी दिल्ली तो कभी दुबई और कभी लंदन से कारोबार का संचालन करने लगा। इस बीच नैनीताल जनपद के निवासी भेल में इंजीनियर एवं चिकित्सक माता-पिता की चिकित्सक पुत्री भावना से मुलाकात और फिर शादी हुई। 2012 के आसपास इंजीनियर ससुर अपने गांव बेतालघाट लौट आए तो उनके साथ राहुल भी यहां ससुराल के नाते आ गए। यहां राहुल बेतालेश्वर महादेव का ऐसे आकर्षण में बंधे कि कोसी नदी किनारे 300 नाली जमीन खरीद ली। खनन से जुड़े लोगों ने इस भूमि पर क्रेसर बनाने की पहले सलाह और बाद में दबाव बनाया तथा प्रतिवर्ष तीन करोड़ रुपये कमाने का ऑफर दिया, किंतु राहुल ने इसकी जगह यहां 300 गायों की डेयरी खोलकर पहाड़ के लोगों को रोजगार से जोड़ने का बीड़ा उठाया। उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने करीब तीन वर्ष पूर्व इस ‘ढिनाई डेरी’ का उद्घाटन किया था। शुक्रवार को राज्यपाल मौर्य ने अरोड़ा को उत्कृष्ट समाजसेवा के लिए सम्मानित कर 75 हजार रुपये की धनराशि से पुरस्कृत किया तो अरोड़ा ने इस धनराशि से क्षेत्र में कूड़ेदान बनाने का ऐलान किया है। राहुल अरोड़ा की कहानी इससे आगे भी काफी दिलचस्प है। शुक्रवार को नैनीताल राजभवन में सम्मानित होने के बाद पत्रकार वार्ता में अरोड़ा ने कहा कि समाजसेवा के बारे में उन्होंने कभी भी नहीं सोचा था। राहुल ने सोचा था कि 40 की उम्र में अपने कारोबार से सेवानिवृत्ति लेकर कहीं विदेश में शांति से रहेंगे। पर नियति पत्नी के साथ पहाड़ खींच लाई। यहां करीब तीन वर्ष पूर्व 7 माह से व्हील चेयर के लिए जगह-जगह गुहार लगा रहे एक व्यक्ति को व्हील चेयर दिलाने तथा बेतालघाट महोत्सव में सहयोग करने के साथ अनायास समाजसेवा करने का मौका मिला तो बेतालेश्वर सेवा समिति बनाकर इसी में रम गए। बकौल राहुल (40) अब वे अपने कारोबार को केवल इसलिए जारी रखे हुए हैं कि इससे उनके समाज सेवा के कार्य चलते रहें। इस मौके पर उनके साथ बेतालेश्वर सेवा समिति के सचिव दीप रेखाड़ी एवं रमेश तिवाड़ी आदि सदस्य भी मौजूद रहे। समाज सेवाः राहुल की ढिनाई डेरी में वर्तमान में 50 गायें एसी एवं कालीनों का आनंद लेती हुई खास जैविक चारा खाती हैं। उनसे प्राप्त जैविक दूध प्रतिमाह लाखों रुपये के नुकसान के बावजूद बेतालघाट में मात्र 38 रुप.े प्रति लीटर के भाव बेचा जाता है। राहुल ने बेतालघाट में तीन मंजिला ‘विकास भवन’ बनाया है, जहां क्षेत्रवासियों के सरकारी कार्यों के लिए आवेदन, प्रार्थना पत्र लिखने जैसे कार्य चार कार्मिकों के जरिए निःशुल्क होते हैं। यहां निःशुल्क बच्चों को ट्यूशन, कोचिंत, गीत-संगीत एवं नृत्य की शिक्षा तथा सिलाई-कढ़ाई एवं ब्यूटीशियन का प्रशिक्षण दिया जाता है। बच्चों के लिए निःशुल्क पुस्तकालय भी खोला है। मंदिरों का सौंदर्यकरण किया है। वह बेतालघाट में अपने खर्च पर खेल महाकुंभ व राज्य स्तरीय बॉक्सिंग प्रतियोगिता करा चुके हैं। आगे उनकी योजना परित्यकता गायों के लिए गौसदन एवं आयुष फार्मिंग करने तथा अपने कार्य को बेतालघाट से बाहर भी यथाशक्ति फैलाने की है। उन्होंने दावा कि इतने कार्य करने के बावजूद उनकी राजनीति में जाने की कोई योजना नहीं है। हिन्दुस्थान समाचार/नवीन जोशी/मुकुंद-hindusthansamachar.in

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