स्वामी विवेकानंद के लिए एक मंच पर आकर कुमाऊं व गढ़वाल विवि ने बनाई डॉक्यूमेंट्री
स्वामी विवेकानंद के लिए एक मंच पर आकर कुमाऊं व गढ़वाल विवि ने बनाई डॉक्यूमेंट्री

स्वामी विवेकानंद के लिए एक मंच पर आकर कुमाऊं व गढ़वाल विवि ने बनाई डॉक्यूमेंट्री

-संयुक्त रूप से लांच की उत्तराखंड में स्वामी विवेकानंद पर्यटन परिपथ पर डॉक्यूमेंट्री - दूरदर्शन पर भी दिखाई गई डॉक्यूमेंट्री नैनीताल, 07 अक्टूबर (हि.स.)। उत्तराखंड के नैनीताल जनपद के काकड़ीघाट में प्राप्त ज्ञान से शिकागो में देश का नाम विश्वपटल पर स्थापित करने वाले स्वामी विवेकानंद के लिए उत्तराखंड के कुमाऊं व गढ़वाल विश्वविद्यालय संभवतया पहली बार एक मंच पर आए। कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में बुधवार को कुलपति प्रो. एनके जोशी ने गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल की उपस्थिति में वेबिनार के माध्यम से कुमाऊं एवं गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से स्वामी विवेकानंद पर्यटन परिपथ विषय पर तैयार की गई डॉक्यूमेंट्री फिल्म को लांच किया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की प्रेरणा से भारत सरकार के ‘एक भारत श्रेठ भारत अभियान’ को समर्पित एवं डॉ. सर्वेश उनियाल के निर्देशन में बनी इस फिल्म का बुधवार शाम दूरदर्शन पर भी प्रसारण किया गया। इस अवसर पर कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जोशी ने कहा कि विवेकानंद जी शिक्षा के जरिए विद्यार्थियों में सनातन मूल्यों के प्रति आस्था पैदा कर ‘मनुष्यों के निर्माण में विश्वास‘ रखते थे। उन्होंने विश्वास जताया कि इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म के बनने से उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों को विवेकानंद जी की यात्रा की पूरी जानकारी मिल पायेगी। साथ ही पर्यटकों के बढ़ने से स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलेगा। हेमवती नंदन बहुगुणा गढवाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नौटियाल ने इस प्रयास की सराहना करने के साथ ही महात्मा गांधी की उत्तराखंड की यात्राओं के स्थानों को जोड़ते हुए इसी तरह का पर्यटन परिपथ बनाने का सुझाव भी दिया। विशिष्ट वक्ता के रूप में अपर खाद्य आयुक्त डॉ सुचिश्मिता देशपांडे ने दोनों विश्वविद्यालय के कुलपतियों को बधाई देते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद के जीवन दर्शन एवं उनके पर्यटन पथ पर आधारित वृत्तचित्र बनाने का यह अभूतपूर्व प्रयास देश में प्रथम है। विवेकानंद पीठ के सचिव एवं ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ क्लब के संयोजक प्रो. अतुल जोशी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए बताया कि स्वामी विवेकानंद जी ने अपने संबोधन में कहा था कि इन पहाड़ों के साथ हमारी श्रेष्ठतम स्मृतियां जुड़ी हुई हैं। यदि धार्मिक भारत के इतिहास से हिमालय को निकाल दिया जाए तो उसका कुछ भी बचा नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद की भाँति ही दोनों विश्वविद्यालयों के द्वारा सामूहिक रूप में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर एवं महात्मा गांधी की उत्तराखंड यात्राओं पर आधारित डॉक्यूमेंटरी फिल्मों का भी निर्माण किया जायेगा। इस अवसर पर प्रो. एससी बागडी, प्रो. ओपी बेलवाल, प्रो. एसके गुप्ता, प्रो. गिरीश रंजन तिवारी, विधान चौधरी, केके पांडे व मनोज पांडे सहित दोनों विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक एवं कर्मचारी वेबिनार में उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/नवीन जोशी-hindusthansamachar.in

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