सड़क न होने से गर्भवती नहीं पहुंच पाई अस्पताल, रास्ते में हुई डिलीवरी
सड़क न होने से गर्भवती नहीं पहुंच पाई अस्पताल, रास्ते में हुई डिलीवरी

सड़क न होने से गर्भवती नहीं पहुंच पाई अस्पताल, रास्ते में हुई डिलीवरी

उत्तरकाशी (उत्तराखंड) ,14 जुलाई (हि.स.) । उत्तरकाशी जिले के प्रखंड नौगांव की ग्राम पंचायत हिमरोल के लोगों के लिए आजादी के 73वें साल में सड़क किसी सपने से कम नहीं है। यहां के पहाड़ी लोगों की दुश्वारियां 'पत्थर दिल' पहाड़ जैसी हैं। 21वीं सदी में कोई कल्पना नहीं कर सकता कि प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिलाओं को पहाड़ी पैदल रास्तों से अस्पताल ले जाया जाता है। मगर यह सच है। हिमरोल की रामप्यारी देवी इसका जीता-जागता सुबूत हैं। उन्होंने पैदल चलने के दौरान रास्ते ही बच्चे को जन्म दिया। जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। यहां के लोग दिन-महीनों से नहीं, सालों से सड़क की गुहार शासन- प्रशासन से लगा रहे हैं। मगर कोई सुन नहीं रहा। ...और व्यवस्था से हारे लोगों को फिर दिल दहलाने वाला अनुभव रामप्यारी के रूप में हुआ। रामप्यारी के पति लक्ष्मण नौटियाल ने बताते कि की पत्नी को मंगलवार को सुबह 6 बजे प्रसव पीड़ा सुबह शुरू हुई। गांव का सबसे नजदीकी अस्पताल नौगांव में है। सड़क है नहीं। नौगांव 11 किलोमीटर दूर है। वह लोग रामप्यारी को पैदल लेकर नौगांव के लिए चल पड़े। एक किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करने में दो घंटे लग गए। नौटियाल ने बताया कि पैदल मार्ग पथरीला और उतार चढ़ाव वाला है। वह लोग अस्पताल नहीं पहुंच पाए। रास्ते में ही उनकी पत्नी का प्रसव हो गया। ईश्वर की कृपा से पत्नी और नवजात दोनों स्वस्थ हैं। अगर सड़क होती तो वह दो घंटे में जरूर अस्पताल पहुंच जाते। वह कहते हैं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और पूर्व विधायक ने कई बार सड़क की घोषणा की। मगर उनकी हर घोषणा झूठी निकली। ग्रामीणों का कहना है कि लॉक डाउन में युवकों के प्रयास से 26 बैंड से 500 मीटर तक दुपहिया वाहन के लिए मार्ग बनाया गया। इस आगे रास्ते में आई चट्टान नहीं टूट पाई। यह मार्ग अधूरा रह गया। हिन्दुस्थान समाचार/चिरंजीव सेमवाल/मुकुंद-hindusthansamachar.in

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