संस्कृत के बिना भारत की कल्पना सम्भव नहींः सारंगी
संस्कृत के बिना भारत की कल्पना सम्भव नहींः सारंगी

संस्कृत के बिना भारत की कल्पना सम्भव नहींः सारंगी

हरिद्वार, 26 अगस्त (हि.स.)। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय संस्कृत महोत्सव के दूसरे दिन का शुभारम्भ वैदिक मन्त्रोच्चारण से हुआ। इस मौके पर मुख्य अतिथि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डाॅ. सत्यपाल ने कहा कि वर्तमान समय में सम्पूर्ण विश्व विघटन की अवस्था में है। संस्कृत भाषा ही विश्व को एकसूत्र में बांधने का सामर्थ्य रखती है। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय मन्त्री, सूक्ष्म लघु कुटीर उद्योग प्रताप चन्द्र सारंगी ने संस्कृत की सर्वज्ञानमूलकता, सर्वभाषाजननीत्व को प्रतिपादित करते हुये कहा कि संस्कृत के बिना भारत की कल्पना सम्भव नहीं है। पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने संस्कृत विभाग के संस्कृत और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए किए जाने वाले प्रयासों की प्रशंसा की। विशिष्ट व्याख्यान देते हुए हिमाचल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री ने कहा कि संस्कृत भाषा केवल साहित्य को पढ़ाने का माध्यम न बने, अपितु आधुनिक विषयों को भी संस्कृत के माध्यम से पढ़ाने की आवश्यकता है। प्राचीन भारतीय ज्ञान विज्ञान को जानने समझने के लिये संस्कृत की पाण्डुलिपियों के शोध की आवश्कता को भी उन्होंने प्रतिपादित किया। कार्यक्रम के अन्त में गुजरात विश्वविद्यालय के भाषा संकाय के निदेशक प्रो. कमलेश चौकसी ने अपने प्राचीन गौरव की रक्षा करने के लिये साहित्य सृजन एवं प्राचीन स्मारक निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। इससे पूर्व आज के कार्यक्रम कर रूपरेखा संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. सोमदेव शतांशु ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम के अन्त में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. दिनेश भट्ट तथा प्राच्य विद्या संकाय के अध्यक्ष प्रो. ब्रह्मदेव विद्यालंकार ने सभी का धन्यवाद व्यक्त किया। डॉ. वेदव्रत ने कार्यक्रम का संयोजन किया। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत-hindusthansamachar.in

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