श्राद्ध पक्ष  शुरू : 17 सितम्बर को सर्वपितृ अमावस्या पर समापन
श्राद्ध पक्ष शुरू : 17 सितम्बर को सर्वपितृ अमावस्या पर समापन

श्राद्ध पक्ष शुरू : 17 सितम्बर को सर्वपितृ अमावस्या पर समापन

उत्तरकाशी,31अगस्त (हि.स.)। श्राद्ध पक्ष सोमवार से शुरू हो गया। पूर्णिमा तिथि पर पितरों को तर्पण एवं श्राद्ध प्रदान करने के साथ पितृपक्ष प्रारंभ हो जाएगा। यह कहना है राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज आईडीपीएल के संस्कृत प्रवक्ता आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल का। घिल्डियाल के मुताबिक यद्यपि 31 अगस्त सोमवार सुबह 9:40 तक चतुर्दशी तिथि रहेगी परंतु शास्त्रों के अनुसार पितरों का तर्पण उदय व्यापिनी तिथि में नहीं अपितु उत्तरार्ध तिथि में किए जाने का विधान है। इसलिए आज ही पूर्णमासी को पितरों के लिए उनके वंशजों द्वारा तर्पण किया जाना शास्त्र सम्मत है जिन लोगों का पूर्णमासी का व्रत रहता है वह दोपहर 2:00 बजे तक व्रत रखकर पितरों का स्मरण कर उन्हें खीर पूरी अर्पण कर भोजन कर सकते हैं। 17 सितम्बर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ पितृपक्ष का समापन होगा। 18 सितम्बर से मलिन मास आरंभ हो जाएगा। इस प्रकार करें पितरों का तर्पण श्रीमद्भागवत रत्न से सम्मानित व्यास डॉक्टर घिल्डियाल बताते हैं कि जौतिल चावल तुलसीदल कुशा दाएं हाथ में रखें थाली में शालिग्राम रखकर इसके ऊपर जल से ऋषि यों एवम देवताओं के लिए तथा दूध से पितरों के लिए तर्पण करने से वंश वृद्धि धन वृद्धि यश वृद्धि होती है। जिन स्त्रियों की मृत्यु प्रसव पीड़ा के दौरान अथवा जिन बच्चों की मृत्यु जन्म लेते ही हो जाती है उनके लिए अष्टमी तिथि के दिन श्राद्ध करना उत्तम रहता है। सौभाग्यवती स्त्रियां जो मृत्यु को प्राप्त हो जाती हैं उनका श्राद्ध भी इसी दिन करना चाहिए जबकि दुर्घटना में सर्प के काटने से गिरने से तथा ज्ञात अज्ञात मृत्यु को प्राप्त पितरों का श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या के दिन करना चाहिए। जिन वंशजों को अपने पितरों की तिथि का ज्ञान न हो वह भी सर्वपितृ अमावस्या के दिन यदि तर्पण कर लेते हैं तो उनके पितरों को भी अक्षय तृप्ति की प्राप्ति होती है और उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह रहेगा तिथि अनुसार श्राद्ध का क्रम 1 सितम्बर 2020 पूर्णमासी श्राद्ध। 2 सितम्बर 2020 को प्रतिपदा श्राद्ध। 3 सितम्बर को तिथि वृद्धि होने से प्रतिपदा का ही श्राद्ध ।4 तारीख को द्वितीय श्राद्ध 5 तारीख को तृतीय। 6 को चतुर्थी ।7 को पंचमी ।8 को षष्ठी। 9 को सप्तमी। 10 को अष्टमी ।11 को नवमी ।12 को दशमी ।13 को एकादशी। 14 को द्वादशी ।15 को त्रयोदशी। 16 को चतुर्दशी। 17 तारीख को सर्वपितृ अमावस्या। 18 से मलिन मास आरंभ। यह 1 महीने तक चलेगा। उसके बाद नवरात्रि शुरू हो जाएगी। आचार्य ने बताया कि इस वर्ष पितृपक्ष की तिथि की वृद्धि हो रही है। जो अशुभ मानी जाती है परंतु यदि अधिक संख्या में लोग सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण और पितरों का पूजन कर लेते हैं तो इसका दोष दूर हो जाता है। हिन्दुस्थान समाचार//चिरंंजीव सेमवाल-hindusthansamachar.in

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