हरिद्वार, 13 नवम्बर (हि.स.)। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज स्थित फार्मेसी में आयुर्वेद के प्रवर्तक भगवान धन्वन्तरि की जयंती आयुर्वेद के विकास में जुट जाने के आह्वान के साथ मनाई गई। फार्मेसी में हवन के साथ भगवान धन्वन्तरि की विशेष पूजा-अर्चना की गई। अपने संदेश में गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि धन्वन्तरि भगवान विष्णु के तेरहवें अवतार हैं तथा दीर्घतपा के पुत्र व केतुमान के पिता हैं। वे देवताओं के वैद्य थे और इन्हें आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं। उन्होंने कहा कि परमात्मा ने सर्वश्रेष्ठ मनुष्य काया दी है, तो उसे प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखकर जीवनोद्देश्य की दिशा में निरंतर गतिशील रहना चाहिए। डॉ. वन्दना श्रीवास्तव, डॉ. अलका मिश्रा, डॉ. एके पाण्डेय आदि ने भगवान धन्वन्तरि से जुड़े विभिन्न पौराणिक कथानकों का जिक्र करते हुए प्रकृति के अनुसार जीवन जीने की सलाह दी। इससे पूर्व शैल जीजी एवं डॉ. प्रणव पण्ड्या ने शांतिकुंज परिवार से जुड़े सभी परिजनों से वैश्विक महामारी कोरोना-19 के मद्देनजर इको फेंडली दीपावली मनाने का आह्वान किया। रचनात्मक प्रकोष्ठ के समन्वयक केदार प्रसाद दुबे एवं उदय किशोर मिश्र ने ऑनलाइन धन्वन्तरि जयंती का वैदिक कर्मकांड सम्पन्न कराया। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत/मुकुंद-hindusthansamachar.in