रचनाकार हेमंत बिष्ट ने कविता पाठ
रचनाकार हेमंत बिष्ट ने कविता पाठ

रचनाकार हेमंत बिष्ट ने कविता पाठ

नैनीताल, 25 नवम्बर (हि.स.)। ‘ये आलीशान कोठी और विशाल गेट के नीचे दफन हुई है मेरे ककाज्यू की कानली, ये हरियाली और सोंधी माटी के ऊपर क्यों कांच-लोहा-पाथर ने चादर-सी तान ली, ये रॉक-पॉप संगीत बजते हैं आज यहां, भटकती है न्यौली के गीतों की आत्मा, थिरकते हैं जोड़े करते हैं बॉल डांस आज यहां, हुड़किया बौल चलते हुड़के की थाप में, जाम यों खनकते हैं हाथों में आज जहां, लाटी काकी की छुड़ंकती थी दराती, ऊंची अट्टालिका के पीछे सिसकती है बांहे फैलाये ये पुरखों की बाखली..’ पहाड़ों में जमीन बेचकर कुछ दिन ऐशो-आराम की जिंदगी बिताने के बाद अपनी ही जमीन पर बनी कोठी में माली या चौकीदार की नौकरी करने को विवश पहाड़ियों की व्यथा व्यक्त करती ‘ककाज्यू की कानली’ शीर्षक से यह कविता उत्तराखंड राज्य गीत के रचनाकार वरिष्ठ साहित्यकार हेमंत बिष्ट ने कुमाऊं विश्वविद्यालय की रामगढ स्थित महादेवी वर्मा सृजन पीठ द्वारा ‘मेरी रचना यात्रा और कविताएं’ शीर्षक से फेसबुक लाइव के जरिए आयोजित ऑनलाइन चर्चा व कविता पाठ में प्रस्तुत की। देश के राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित सुप्रसिद्ध उदघोषक हेमंत बिष्ट ने पहाड़ की मां को समर्पित ‘ईजा’ के साथ ही ‘धनदा लुहार’ सहित अन्य कविताओं का पाठ भी किया। आकाशवाणी, दूरदर्शन सहित देशभर के अनेक प्रतिष्ठित मंचों पर कविता पाठ कर चुके हेमंत बिष्ट ने अपनी रचना यात्रा की चर्चा भी की। उन्होंने स्वयं को सौभाग्यशाली बताया कि उन्हें मंच पर काका हाथरसी, केपी सक्सेना, हुल्लड़ मुरादाबादी व ब्रजेन्द्र अवस्थी आदि लब्ध प्रतिष्ठित कवियों के साथ कविता पाठ का अवसर मिला। कार्यक्रम में महादेवी वर्मा सृजन पीठ के निदेशक प्रो. शिरीष कुमार मौर्य, शोध अधिकारी मोहन सिंह रावत सहित वरिष्ठ साहित्यकार देवेन मेवाड़ी व जहूर आलम साहित्य-प्रेमी सम्मिलित हुए। हिन्दुस्थान समाचार/नवीन जोशी/मुकुंद-hindusthansamachar.in

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