भारत के दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल हेल्थ मिशन के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने की आवश्यकता:  प्रो . रविकांत
भारत के दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल हेल्थ मिशन के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने की आवश्यकता: प्रो . रविकांत

भारत के दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल हेल्थ मिशन के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने की आवश्यकता: प्रो . रविकांत

ऋषिकेश, 22 अक्टूबर (हि.स.)। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में वैभव शिखर सम्मेलन के श्रृंखलाबद्ध वर्चुअल सत्र में विशेषज्ञों ने ई-स्वास्थ्य के विकास पर जोर दिया। विशेषज्ञ चिकित्सा वैज्ञानिकों का मानना है ,कि मौजूदा दौर में ग्रामीण भारत के दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल हेल्थ मिशन के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने की आवश्यकता है। वैभव शिखर सम्मेलन का बीते 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन किया था। माह भर तक चलने वाले इस सम्मेलन में देश के अलावा अप्रवासी भारतीय विशेषज्ञों, चिकित्सकों और वैज्ञानिकों के सहयोग से अकादमिक और अनुसंधान संस्थान के सहयोग के लिए सिस्टम विकसित करने पर वृहद व्याख्यानमाला आयोजित की जा रही है। सम्मेलन के सत्र में विशेषज्ञों ने ग्रामीण भारत के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में डिजिटल हेल्थ मिशन के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने पर विस्तृत चर्चा की। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश द्वारा टेलीमेडिसिन के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है। एम्स की इस सेवा का संपूर्ण उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों खासकर स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित क्षेत्रों के मरीजों को लाभ मिल रहा है। कोरोना महामारी के मद्देनजर एम्स ऋषिकेश ने रोगियों के लिए टेलीमेडिसिन वर्चुअल ओपीडी शुरू की है। एम्स ऋषिकेश ने इस विषय पर चैंपियन संस्थान के रूप में कार्य किया। वर्चुअल वेबिनार पर आधारित विश्वस्तरीय वैभव समिट में यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, भारत आदि देशों के प्रवासी व अप्रवासी भारतीय वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग कर रहे हैं। वैभव सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए एम्स निदेशक व सीईओ प्रोफेसर रविकांत ने एम्स ऋषिकेश के टेलीमेडिसिन सेवा विभाग की प्रशंसा की और सभी पैनलिस्टों को उत्तराखंड के दुर्गम और ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक और बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को लागू करने के लिए न्यूनतम लागत के आधार पर व्यवहारिक समाधान सुझाने की सलाह दी। रविकांत ने कहा कि इस विश्वस्तरीय वैभव सम्मेलन में विभिन्न विषयों से जुड़े चिकित्सा विज्ञानियों द्वारा की जा रही चर्चा से जो निष्कर्ष निकलेगा, वह उत्तराखंड ही नहीं अपितु देश के अन्य दुर्गम और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए मेडिकल सेवा की दृष्टि से लाभकारी साबित होगा। समिट में संस्थान के टेलीमेडिसिन विभाग की प्रमुख प्रो. वर्तिका सक्सेना जी ने उल्लेख किया कि इस सम्मेलन के माध्यम से दुनिया के अन्य हिस्सों में अपने अनुभवों को साझा करने वाले भारतीय मूल के अप्रवासियों की सक्रिय भागीदारी भारत में मेडिकल संबंधी कार्यक्रमों की प्रबंधकीय व्यवस्था को समृद्ध करेगी। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिंग का शब्दश: पालन सुनिश्चित करने के लिए एम्स द्वारा संचालित की गई टेलीमेडिसिन सेवाओं का लाभ उत्तराखंड के मरीजों के अलावा समीपवर्ती राज्यों के मरीजों को भी पहुंचा है।वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान विभन्न देशों के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने एम्स ऋषिकेश की इस पहल की सराहना की। समिट के तहत होने वाले तमाम बौद्धिक सत्रों के बाद प्राप्त निष्कर्ष के आधार पर सभी सुझावों को विशेषज्ञों द्वारा भारत सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा। एम्स की ओर से इस सत्र का संचालन कर रहे फेमिली मेडिसिन विभाग के डा. योगेश बहुरूपी ने कहा कि टेलीमेडिसिन के माध्यम से प्रदान की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए उत्तराखंड में विशेष योजना क्रियान्वित की जाएगी। उन्होंने कहा कि एम्स का प्रयास है कि विषम भौगोलिक स्थितियों वाले इस राज्य के अंतिम छोर तक टेलीमेडिसिन की सुविधा का लाभ पहुंच सके। जिससे वह चिकित्सा जैसी अति महत्वपूर्ण जरुरत से वंचित नहीं रह सकें। हिन्दुस्थान समाचार /विक्रम-hindusthansamachar.in

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