पितृों के निमित्त कृतज्ञता ज्ञापित करने का पर्व पितृ पक्ष 02 सितम्बर से
पितृों के निमित्त कृतज्ञता ज्ञापित करने का पर्व पितृ पक्ष 02 सितम्बर से

पितृों के निमित्त कृतज्ञता ज्ञापित करने का पर्व पितृ पक्ष 02 सितम्बर से

हरिद्वार, 27 अगस्त (हि.स.)। अपने पितरों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए सबसे श्रेष्ठ श्राद्ध पक्ष आगामी 02 सितम्बर से आरम्भ होगा। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहिए। पितरों की शांति के लिए भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृ पक्ष श्राद्ध होते हैं। पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक इस पितृ काल के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं। ताकि वह अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें। माना जाता है कि जिस घर के पितृ अपने परिवार के लोग से खुश रहते हैं, उन पर देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। श्राद्ध कर्म, तर्पण आदि करने से पितृ प्रसन्न और तृप्त होते हैं। शास्त्रों के अनुसार जिन लोगों को पितृ उनसे प्रसन्न नहीं होते है उन्हें पितृ दोष का श्राप मिलता है। पितृ दोष से श्रापित परिवार में अशांति बनी रहती है। शुक्ल के मुताबिक जीवन में प्रसन्नता और समृद्धि के लिए पितृ पक्ष में पितरों के निमित्त अवश्य तर्पण करना चाहिए। पितृ पक्ष प्रारंभ तिथि बुधवार 02 सितम्बर को पूर्णिमा का पहला श्राद्ध होगा। 03 सितम्बर प्रतिपदा श्राद्ध, 04 सितम्बर द्वितीया श्राद्ध, 05 सितम्बर तृतीया श्राद्ध, 06 सितम्बर चतुर्थी श्राद्ध, 07 सितम्बर पंचमी श्राद्ध, 08 सितम्बर षष्ठी श्राद्ध, 09 सितम्बर सप्तमी श्राद्ध, 10 सितम्बर अष्टमी श्राद्ध, 11 सितम्बर नवमी श्राद्ध, 12 सितम्बर दशमी श्राद्ध, 13 सितम्बर एकादशी श्राद्ध, 14 सितम्बर द्वादशी श्राद्ध, 15 सितम्बर त्रयोदशी श्राद्ध, 16 सितम्बर चतुर्दशी श्राद्ध व 17 सितम्बर को सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध होगा। अमावस्या के साथ ही पितृ पक्ष समाप्त हो जाएगा। अमावस्या के दिन सायंकाल दीपदान कर पितरों को विदा किया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत-hindusthansamachar.in

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