परमार्थ को समर्पित रहता है संतों का जीवनः अयोध्याचार्य
हरिद्वार, 05 नवम्बर (हि.स.)। जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा है कि संत परम्परा सनातन संस्कृति की वाहक है और हरिद्वार के संतों ने विश्व पटल पर भारतीय संस्कृति का जो रूप प्रस्तुत किया है वह सराहनीय है। मध्य हरिद्वार स्थित श्रीरामानंद आश्रम में ब्रह्मलीन श्रीमहंत भगवानदास महाराज के श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संतों का जीवन सदैव परमार्थ को समर्पित रहता है। संत सदैव ही अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते है और ब्रह्मलीन श्रीमहंत भगवानदास महाराज तो साक्षात त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने सदैव भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर समाज को नई दिशा प्रदान की। महंत विष्णुदास महाराज व महंत प्रेमदास महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। ब्रह्मलीन स्वामी भगवान दास महाराज एक महान संत थे, जिन्होंने अनेकों सेवा प्रकल्पों के माध्यम से समाज का कल्याण किया। राष्ट्र उत्थान में उनके अहम योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। ब्रह्मलीन श्रीमहंत भगवानदास महाराज के शिष्य महंत सुतीक्षणदास महाराज ने कहा कि संतों के दर्शन मात्र से पापों की निवृत्ति व पुण्य की प्राप्ति होती है और जिस स्थान पर संत समागम का आयोजन हो जाता है वह सदैव के लिए पूजनीय हो जाता है। गुरुदेव ब्रह्मलीन श्रीमहंत भगवानदास महाराज एक तपस्वी संत थे, जिन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि गुरुदेव के बताये मार्ग का अनुसरण कर ही संतों की सेवा व राष्ट्र कल्याण में अपना अहम योगदान प्रदान करना ही उनके जीवन का मूल उद्देश्य होगा। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत-hindusthansamachar.in