देश को एकता की डोर में बांधती है हिन्दीः गोयल
देश को एकता की डोर में बांधती है हिन्दीः गोयल

देश को एकता की डोर में बांधती है हिन्दीः गोयल

हरिद्वार, 14 सितम्बर (हि.स.)। हिन्दी दिवस पर सोमवार को मानव अधिकार संरक्षण समिति एवं भारत विकास परिषद देवभूमि शाखा हरिद्वार द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संगठन मंत्री नानक चंद गोयल ने कहा कि भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है। परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है। जो विश्व में भारत की पहचान बने। आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिन्दी भाषा ही है। समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मधुसूदन आर्य ने कहा कि आज हम जिस भाषा को हिन्दी के रूप में जानते है, वह आधुनिक आर्य भाषाओं में से एक है। आर्य भाषा का प्राचीनतम रूप वैदिक संस्कृत है, जो साहित्य की परिनिष्ठित भाषा थी। वैदिक भाषा में वेद, संहिता एवं उपनिषदों-वेदांत का सृजन हुआ है। वैदिक भाषा के साथ-साथ ही बोलचाल की भाषा संस्कृत थी, जिसे लौकिक संस्कृत भी कहा जाता है। संस्कृत का विकास उत्तरी भारत में बोली जाने वाली वैदिक कालीन भाषाओं से माना जाता है। जिला अध्यक्ष एसआर गुप्ता ने कहा कि इसे हिन्दी का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इतनी समृद्ध भाषा कोष होने के बावजूद आज हिन्दी लिखते और बोलते वक्त ज्यादातर अंग्रेजी भाषा के शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। राष्ट्रिय उपाध्यक्ष अन्नपूर्णा बंधुनी व राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री हेमंत सिंह नेगी ने कहा कि राष्ट्रभाषा किसी भी देश की पहचान और गौरव होती है। हिन्दी हिन्दुस्तान को बांधती है। वेबिनार में जगदीश लाल पाहवा, डॉ सुनील बत्रा, डॉ पीके शर्मा, रेखा नेगी, आरके गर्ग, राजीव राय, विमल गर्ग, मंजु गुप्ता, डॉ दीनदयाल, डॉ शिवि अग्रवाल, डॉ त्रिलोक माथुर, डॉ आलोक, डॉ अंजु शर्मा, प्रकृति अग्रवाल इत्यादि उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत/मुकुंद-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in