छोटे एवं मझोले समाचार पत्रों की ओर ध्यान दें सरकार: रस्तोगी
छोटे एवं मझोले समाचार पत्रों की ओर ध्यान दें सरकार: रस्तोगी

छोटे एवं मझोले समाचार पत्रों की ओर ध्यान दें सरकार: रस्तोगी

देहरादून, 06 अक्टूबर (हि.स.)। पत्रकार प्रेस महासंघ तथा पत्रकारिता से जुड़े कई वरिष्ठ लोग इन दिनों उत्तराखंड सरकार की आलोचना कर रहे हैं। इसी संदर्भ में वरिष्ठ पत्रकार एवं कई पत्रकार संगठनों से जुड़े राजधानी पत्रकार क्लब के प्रमुख नरेन्द्र रस्तोगी का कहना है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा स्थानीय लघु एवं मझोले समाचार पत्र-पत्रिकाओं को दिये जाने वाले विज्ञापनों में लगातार भेदभाव किया जा रहा है। रस्तोगी ने कहा कि हाल ही में राज्य सरकार ने एक ओर जहां अपनी उपलब्धियों का बखान करते हुए कुछ बड़े बड़े मीडिया घरानों के समाचार पत्रों में पूर्ण पृष्ठ विज्ञापन के साथ साथ पूर्ण पृष्ठ एडोटोरियल (इपैक्ट फीचर-विज्ञापन) कई दिनों तक प्रकाशित करवाये तो वहीं दूसरी ओर कोविड-19 के चलते लॉकडाउन के कारण बंदी के कगार पर पहुंचे स्थानीय लघु एवं मझोले समाचार पत्र पत्रिकाओं को प्रदेश सरकार ने विज्ञापन देने के नाम पर ठेंगा दिखा दिया। इतना ही नहीं महापुरुषों के नाम पर जारी होने वाले विज्ञापनों में भी पिछले कुछ समय से स्थानीय लघु एवं मंझौले समाचार पत्र पत्रिकायें सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रही हैं। उनको जारी किये जाने वाले सभी विज्ञापनों का आकार या तो अत्यधिक छोटा कर दिया गया है या फिर जारी करने ही बंद कर दिए गए हैं। आश्चर्य की बात है कि राज्य से प्रकाशित होने वाले लघु एवं मझोले समाचार पत्र पत्रिकाओं को गांधीजी का जो विज्ञापन जारी किया गया, उसका आकार बड़े समाचार पत्रों की अपेक्षा बहुत ही कम था जबकि लाल बहादुर शास्त्री जी का विज्ञापन स्थानीय लघु एवं मझोले समाचार पत्र पत्रिकाओं को जारी करना ही सरकार ने उचित नहीं समझा। रस्तोगी ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि बड़े मीडिया घरानों के समाचार पत्रों की अपेक्षा स्थानीय लघु एवं मझोले समाचार पत्र पत्रिकाओं का स्थानीय सरकार बनाने में अहम योगदान होता। उनकी ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/ साकेती-hindusthansamachar.in

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