कुमाऊं विश्वविद्यालयः पीएचडी में प्रवेश के लिए अब 8 अंक की होगी लिखित परीक्षा
कुमाऊं विश्वविद्यालयः पीएचडी में प्रवेश के लिए अब 8 अंक की होगी लिखित परीक्षा

कुमाऊं विश्वविद्यालयः पीएचडी में प्रवेश के लिए अब 8 अंक की होगी लिखित परीक्षा

-कुमाऊं विश्वविद्यालय की शोध सलाहकार समिति की बैठक में लिये गए एक दर्जन महत्वपूर्ण निर्णय नैनीताल, 25 नवम्बर (हि.स.)। कुमाऊं विश्वविद्यालय की शोध सलाहकार समिति की बैठक विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के सभागार में आयोजित हुई। बैठक में पी-एचडी में प्रवेश हेतु पूर्व के लिखित के 7 व साक्षात्कार के 3 अंक के नियम की जगह लिखित के 8 व साक्षात्कार के 2 अंक निर्धारित करना प्रस्तावित किया गया। नया नियम वर्ष 2021-22 के सत्र लागू किया जायेगा। यह भी तय हुआ कि जेआरएफ व नेट इस्पायर प्राध्यापकों को भी साक्षात्कार देना होगा। केवल लिखित में पास होने पर ही मौखिकी परीक्षा में आमंत्रित किया जायेगा। साक्षात्कार हेतु गठित समिति में संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष (संयोजक), शोध निदेशक प्रतिनिधि तथा कुलपति द्वारा नामित विषय विशेषज्ञ होंगे। बैठक में यह भी तय हुआ कि एक वर्ष में कुल इम्पैक्ट फैक्टर 10 वाले बेहतर शोध कार्य करने वाले कुमाऊॅं विश्वविद्यालय के शोधार्थी सम्मानित किये जायेगें। एक अभ्यर्थी द्वारा एक बार ही एक विषय में पीएचडी-डीएससी की जा सकेगी। दूसरे विषय में पीएचडी-डीएससी करने के लिए अभ्यर्थी को विश्वविद्यालय से दूसरे विषय में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण करनी अनिवार्य होगी। बैठक में यह भी तय किया गया कि प्रोजेक्ट कर रहे शोध निर्देशकों को शोध कार्य हेतु फील्ड में जाने तथा अन्य शोध कार्य हेतु कुलपति की अनुमति से 2 दिन का अतिरिक्त कार्यावकाश देय होगा लेकिन उन्हें इस दौरान अपनी कक्षाओं के सुचारू संचालन की व्यवस्था स्वयं करनी होगी। यह भी तय हुआ कि सभी विभाग अनिवार्य रूप से वर्ष में एक बार शोध समिति की बैठक आवश्यक रूप में आयोजित करेंगे। बैठक में एक केंद्रीय प्रयोगशाला के निर्माण की सैद्धांतिक सहमति भी दी गई, जहां विभिन्न विषयों के शोधार्थी आवश्यक शुल्क जमाकर अपने नमूनों का विश्लेषण करा सकेंगे। इस प्रस्ताव हेतु रूसा तथा शोध खाते से 10 लाख की धनराशि दी जायेगी। शोध ग्रंथ के साथ विश्वविद्यालय के सूचना वैज्ञानिक द्वारा हस्ताक्षरित 10 फीसद से कम प्लेजेरिज्म यानी नकल होने का प्रमाण पत्र लगाना अनिवार्य होगा तथा यूजीसी केयर लिस्ट, एससीआई, स्कूपस या वेब ऑफ साइंस में दो शोध पत्र प्रकाशित करने एवं संगोष्ठियों में शोध पत्र प्रस्तुतीकरण के प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से संलग्न करने होगे। जिन विषयों में यूजीसी केयर लिस्ट, एससीआई, स्कूपस या वेब ऑफ साइंस मे रिसर्च जनरल उपलब्ध नही है, वहां जनरल की समतुल्यता हेतु एक समिति का गठित की जायेगी, जिसमें संकायाध्यक्षों एवं विभागाध्यक्ष (संयोजक) सदस्य होंगे। आरडीसी में अनुपस्थित रहने वाले प्री-पी-एचडी कोर्स पूर्ण करने वाले अभ्यर्थी को एक वर्ष की छूट ही अनुमन्य होगी तथा एक वर्ष पश्चात उनका प्री-पीएचडी कोर्स निरस्त माना जायेगा तथा अभ्यर्थी को एक हजार रुपए विलम्ब शुल्क अलग से देना होगा तथा इसकी अनुमति भी लेनी होगी। यही प्रक्रिया प्रवेश परीक्षा पास अभ्यार्थियों के लिये भी होगी। एसएसजे परिसर, अल्मोड़ा की स्थापना के पश्चात सभी पंजीकृत शोधार्थियों के प्री पीएचडी सेमिनार तथा मौखिकी परीक्षा डीएसबी परिसर नैनीताल या भीमताल में सम्पन्न होगी। केवल एसएसजे विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा में शिक्षा संकाय, विधि संकाय एवं मनोविज्ञान से सम्बन्धित शोधार्थियों की मौखिकी परीक्षा में ही सम्पन्न होगी। शोध गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इस वर्ष शोध में प्रवेश लेने वाले शोधार्थियों को शोध प्रबंध जमा करने पर दो शोध पत्र यूजीसी निर्धारित जनरल में प्रकाशित कराना अनिवार्य होगा तथा इसका मूल्यांकन प्री पीएचडी सेमिनार में संयोजक द्वारा किया जायेगा। वर्ष 2012 के पंजीकरण वाली महिला एवं 2014 के पंजीकरण वाले पुरुष अभ्यर्थी ही विस्तारण हेतु आवेदन कर सकते हैं। अन्य को इसकी आवश्यकता नहीं होगी। बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एनके जोशी ने विश्वविद्यालय में शोध का स्तर उठाने हेतु सजगता एवं गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए तीन बिंदुओं पर विशेष कार्य करने पर बल दिया। उन्हाेंने प्राध्यापकों को हर वर्ष कम से कम एक शोध पत्र यूजीसी से स्वीकृत जर्नल में प्रकाशित कराने, उच्च गुणवत्ता युक्त शोधों को पेटेंट कराने के लिए आवेदन करने एवं हर वर्ष प्राध्यापकों द्वारा कम से कम एक अनुदान एजेंसी को अनुदान हेतु शोध प्रस्ताव जमा कराने का मंत्र दिया। हिन्दुस्थान समाचार/नवीन जोशी-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in