उत्तराखंडियों के पुश्तैनी वनाधिकार एवं हक हकूक बहाल होंः किशोर उपाध्याय
उत्तराखंडियों के पुश्तैनी वनाधिकार एवं हक हकूक बहाल होंः किशोर उपाध्याय

उत्तराखंडियों के पुश्तैनी वनाधिकार एवं हक हकूक बहाल होंः किशोर उपाध्याय

गोपेश्वर, 08 नवम्बर (हि.स.)। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने रविवार को कहा है कि सरकारों ने उत्तराखंडियों के पुश्तैनी वनाधिकार को तो समाप्त कर दिया पर उसके एवज दिया कुछ नहीं। ऐसे में वनों पर आधारित तमाम व्यवसाय समाप्त हो गए हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उत्तराखंडियों के वनाधिकार को बहाल किया जाए। चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर में पत्रकारों से बातचीत में उपाध्याय ने कहा कि चिपको आंदोलन से जुड़े लोगों को सरकार ने ऐसा कोई सम्मान नहीं दिया, जिसके वे हकदार थे। वनाधिकार अधिनियम तो बनाया लेकिन वनों पर आधारित व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए उसके एवज में कोई व्यवस्था नहीं की। उन्होंने कहा कि आज भी यहां के लोग पर्यावरण की रक्षा करते हैं लेकिन उसका उन्हें लाभ नहीं मिल रहा है। ग्रीन बोनस दिये जाने की बात तो की जा रही है मगर धरातल पर कुछ नहीं है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उत्तराखंड के लोगों को केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था की जाए। प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। प्रत्येक परिवार को प्रतिमाह एक गैस सिलेंडर, बिजली, पानी निशुल्क दिया जाए। कांग्रेस नेता ने कहा कि जड़ी-बूटियों पर स्थानीय समुदाय का अधिकार हो। शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं निशुल्क हों। एक यूनिट आवास बनाने के लिए लकड़ी, बजरी व पत्थर निशुल्क दिया जाए। जंगली जानवरों से जनहानि पर 25 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति के साथ एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। जंगली जानवरों से फसल के नुकसान पर प्रतिनाली पांच हजार रुपये की क्षतिपूर्ति दी जाए। राज्य में अविलंब चकबंदी व्यवस्था शुरू की जाए। ताकि वनों पर अधिकार समाप्त करने से लोगों को जो असुविधा हो रही है उससे यहां के लोगों को निजात मिल सके। उन्होंने आमजन मानस से अपील की आने वाले विधानसभा चुनाव में इन मुद्दों पर ही लोग अपने विधायकों को चुने ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। हिन्दुस्थान समाचार/जगदीश/मुकुंद-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in