आज राष्ट्र उत्थान के लिए संकल्पित होने का दिन : स्वामी रामदेव
आज राष्ट्र उत्थान के लिए संकल्पित होने का दिन : स्वामी रामदेव

आज राष्ट्र उत्थान के लिए संकल्पित होने का दिन : स्वामी रामदेव

पतंजलि में हर्षोल्लास से मनाया गया 74वां स्वतंत्रता दिवस हरिद्वार,15 अगस्त (हि.स.)। 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर स्वामी रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि के विभिन्न परिसरों में ध्वजारोहण किया और देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि आज अपने कर्म को धर्म मानकर स्वधर्म, राष्ट्रधर्म व मानवधर्म को निभाते हुए हमें राष्ट्र के लिए संकल्पित होने का दिन है। उन्होंने कहा कि पतंजलि योगपीठ ने राष्ट्रधर्म व राष्ट्रहित को सर्वोपरि लक्ष्य बनाकर जो कार्य किए हैं, वे पूरे विश्व के लिए प्रेरणा हैं। पतंजलि योगपीठ ने पूरे विश्व का सबसे बड़ा योग का संस्थान मानवता की सेवा के लिए समर्पित किया है और आयुर्वेद पर क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल व ड्रग डिस्कवरी का काम सर्वप्रथम पतंजलि ने किया। आयुर्वेद जिसे अभी तक मात्र फूड सप्लिमेंट का दर्जा था, उसे पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के मापदण्डों के अनुसार मेडीसिन का दर्जा दिलाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय स्वदेशी से राष्ट्र को स्वाधीन बनाने का संकल्प लिया गया था, इसके लिए लाखों लोग कुर्बान हो गए। उस स्वदेशी के नारे, विचार व विचारधारा को जमीन पर उतारकर, विदेशी कम्पनियों को परास्त कर, स्वदेशी को ऊंचा करने का काम पतंजलि ने ही किया है। उन्होंने कहा कि 1835 में मैकाले ने इण्डियन एजुकेशन एक्ट बनाकर भारतीय अध्यात्म एवं वैदिक शिक्षा को ध्वस्त कर जो पाप किया था, अब भारतीय शिक्षा बोर्ड के माध्यम से शिक्षा के स्वदेशीकरण का काम भी पतंजलि के द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने आह्वान किया कि आज हम इस बात के लिए संकल्पित हों कि हम स्वदेशी को अपनाएंगे। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हमारे लाखों वीर, शहीद क्रांतिकारियों ने अपनी भरी जवानी को मातृभूमि की बलिवेदी पर चढ़ा दिया, जिसके बलबूते हमें यह आजादी मिली है। उन्होंने कहा कि राजनैतिक आजादी ही आजादी नहीं है, हमें पूर्ण आजाद होने के लिए स्वयं को भी तैयार करना होगा। देश के निर्माण के लिए हम सबको ही आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि जिस दिन हम अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो जायेंगे, उस दिन हमें अपनी संस्कृति व मूल्यों का ज्ञान होगा। हम जागरूक नहीं हैं, कहीं न कहीं हम शिथिल हैं, लापरवाह हैं, इसलिए आज देश की स्थिति व गति जो होनी चाहिए, वह नहीं है। उन्होंने कहा कि आज संकल्प लें कि हम एक-एक पल देश के गौरव को बढ़ाने में लगायेंगे क्योंकि देश महान होगा तो हम स्वतः ही महान होंगे। इस मौके पर विश्वविद्यालय की त्रैमासिक पत्रिका ‘पतंजलि विश्वविद्यालय प्रभा’ का विमोचन भी किया गया। हिन्दुस्थानसमाचार/रजनीकांत-hindusthansamachar.in

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