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रथ पर सवार होकर स्नान के लिए हर की पैड़ी निकले वैष्णव संत

हरिद्वार, 14 अप्रैल (हि.स.)। महाकुंभ के तीसरे शाही स्नान पर वैष्णव तीनों अनी अखाड़ों के संत राजसी वैभव के साथ रथ पर सवार होकर बैरागी कैंप से हर की पैड़ी स्नान के लिए निकले। सर्वप्रथम अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़ा उसके बाद अखिल भारतीय श्रीपंच दिगंबर अनी अखाड़ा एवं तीसरे स्थान पर अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े ने शाही स्नान किया। श्रद्धालु संगत को संबोधित करते हुए निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि अखाड़ों की गौरवशाली परंपरा से शाही स्नान का महत्व संपूर्ण संसार में प्रसारित होता है। देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालु भक्त सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति की अलौकिक छटा को देखकर अभीभूत होते हैं। कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का शिखर उत्सव है। जो पूरे विश्व में धर्म की पताका को फहराती है। उन्होंने कहा कि शाही स्नान पर पतित पावनी मां गंगा में डुबकी लगाने मात्र से जन्म जन्मांतर के पापों का समान होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि पितरों का आशीर्वाद भी गंगा स्नान करने से व्यक्ति पर हमेशा बना रहता है। श्रीमहंत धर्मदास महाराज व श्रीमहंत कृष्णदास नगरिया महाराज ने कहा कि सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति के प्रमुख पर्व कुंभ मेले के दौरान संत महापुरूषों के मंथन से निकलने वाला धर्म संदेश पूरी दुनिया को आलोकित करता है। निर्मोही पीठाधीश्वर श्रीमहंत कनीराम दास बापू महाराज ने कहा कि गंगा स्नान के बाद कभी शरीर को पोंछना नहीं चाहिए। क्योंकि जितनी देर तक मां गंगा का जल शरीर पर रहेगा। उतना ही धर्म लाभ स्नानार्थी को प्राप्त होगा। महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा महाराज ने कहा कि कुंभ मेले में शाही स्नान से व्यक्ति को अमरत्व की प्राप्ति होती है। दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण सम्मेलन कुंभ मेला आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है। अखिल भारतीय श्री पंच रामानंदी खाकी अखाड़ा के महंत मोहन दास खाकी महाराज ने कहा कि कुंभ मेला सभी संस्कृतियों का संगम है और कल्पवासियों आगंतुकों एवं महत्वकांक्षीयो का एक समागम है। जो राष्ट्र में एकता और अखंडता को कायम रखता है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला मात्र एक पर्व ही नहीं बल्कि यह ज्ञान, तपस्या और भक्ति का अद्भुत समागम है। जिसमें राजसत्ता, धर्म सत्ता एवं समाज सत्ता तीनों का समावेश होता है। कुंभ मेले के दौरान पवित्र गंगा मां में आचमन मात्र से व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है। स्नान के लिए जाते समय हाथ में फरसा लेकर चल रहे ज्ञान गंगा गौशाला के महंत रामदास महाराज के श्रद्धालुओं के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहे। महंत रामदास महाराज ने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत/सुनीत

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