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उत्तराखंडः अब कमिश्नरी के ऐलान से गैरसैंण की खुशी पर चार चांद

- ग्रीष्मकालीन राजधानी की सालगिरह पर सीएम ने फिर से चौंकाया - त्रिवेंद्र रावत सरकार के अहम ऐलान ने विपक्ष को किया लाजवाब देहरादून, 04 मार्च (हि.स.)। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण-भराड़ीसैंण की सालगिरह को इससे शानदार ढंग से शायद मनाना मुश्किल था। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण-भराड़ीसैंण अब उत्तराखंड की तीसरी कमिश्नरी भी होगी। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साल भर पहले जिस साहसिक और अप्रत्याशित ढंग से ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा की थी, कमिश्नरी का ऐलान भी उससे ही मिलता जुलता है। राज्य बनने के 20 साल बाद तक जब कोई भी सरकार एक नया जिला बनाने का साहस नहीं कर पाई, उन स्थितियों में गैरसैैंण को कमिश्नरी बनाने का ऐलान वास्तव में बहुत बड़ा है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस जबरदस्त निर्णय ने एक बार फिर विपक्ष को बगले झांकने पर मजबूर कर दिया है। गैरसैंण-भराड़ीसैंण में इस बार के बजट सत्र की जब घोषणा हुई, तो यह तय माना जा रहा था कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत वहां जाकर कुछ नया और बड़ा तो जरूर करेंगे। इसकी वजह यही थी कि मौजूदा सरकार का यह आखिरी बजट सत्र है और इसके बाद अगले साल की शुरूआत में ही विधानसभा चुनाव होने हैं। तमाम अनुमानों के बावजूद कोई यह भांप नहीं सका कि गैरसैंण-भराड़ीसैंण में कुछ नया और बड़ा कमिश्नरी के रूप में होने जा रहा है। गैरसैंण की प्रशासनिक हैसियत भले ही ग्रीष्मकालीन राजधानी की है, लेकिन वह अभी तक जिला भी नहीं है। पूर्व सीएम हरीश रावत अपनी पूरी तैयारियों के बावजूद 2016 में गैरसैंण भराड़ीसैंण को जिला बनाने से चूक गए थे। मगर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्रीष्मकालीन राजधानी के बाद अब गैरसैंण-भराड़ीसैंण को कमिश्नरी बनाने का ऐलान करके विपक्ष के सामने बहुत लंबी लकीर खींच दी है। बजट सत्र में सीएम ने कमिश्नरी के अलावा गैरसैंण के विकास के लिए टाउन प्लानर की नियुक्ति प्रक्रिया से संबंधित एक और अहम घोषणा करके यही संदेश दिया है कि वह पर्वतीय जनभावनाओं के अनुरूप ही आगे बढ़ रहे हैं। गैरसैंण भराड़ीसैंण कमिश्नरी में चमोली-रूद्रप्रयाग, अल्मोड़ा औेर बागेश्वर जैसे चार जिलों को शामिल किया जा रहा है। यह वो चार जिले हैं, जिनका शुरू से ही गैरसैंण-भराड़ीसैंण के साथ नजदीकी कनेक्शन रहा है। ग्रीष्मकालीन राजधानी के बाद गैरसैंण-भराड़ीसैंण कमिश्नरी के फैसले का सेहरा जाहिर तौर पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के सिर पर ही बंधना है। चुनाव से पहले साल भर के समय में गैरसैंण-भराड़ीसैंण के विकास को त्रिवेन्द्र सिंह रावत और आगे कहां तक ले जाते हैं, अब सबकी इस पर निगाह है। मगर यह जरूर है कि गैरसैंण विकास के सवाल पर विपक्ष के सामने त्रिवेंद्र सरकार ने एक बड़ी चुनौती जरूर खड़ी कर दी है। यह बात भी अपनी जगह पर है कि गैरसैंण-भराड़ीसैंण एक कमिश्नरी होने जा रही है, लेकिन उसके पास जिले का दर्जा नहीं है। वैसे, जानकारों का मानना है कि इस फैसले के बाद देर-सबेर उसे जिले का दर्जा भी मिल जाएगा। वैसे भी जिले की लाइन में प्रदेश केे तमाम क्षेत्र खडे़ हैं। माना जा रहा है कि गैरसैंण-भराड़ीसैंण को सिर्फ जिला बनाया जाता, तो न सिर्फ अन्य जगहों से भी मांग उठनी शुरू हो जाती, बल्कि ग्रीष्मकालीन राजधानी के बाद इसे उतना बड़ा कदम शायद ही माना जाता, जितना बड़ा प्रदेश की तीसरी कमिश्नरी घोषित होने के बाद माना जा रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/विपिन बनियाल

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