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उत्तराखंडः सीएम ने किया शहीद सैनिकाें के आश्रितों के एकमुश्त अनुदान में डेढ़ गुना वृद्धि का ऐलान

- मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पुरकुल में किया सैन्यधाम का शिलान्यास देहरादून, 23 जनवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत शनिवार को पुरकुल गांव में भारतीय सेना के जज्बे, शौर्य और बलिदान के प्रतीक राज्यस्तरीय सैन्य धाम का शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होंने घोषणा की कि विभिन्न युद्धों व सीमान्त झड़पों तथा आन्तरिक सुरक्षा में शहीद हुए सैनिकों व अर्द्ध सैनिक बलों की विधवाओं या आश्रितों को एकमुश्त 10 लाख रुपये के अनुदान को बढ़ाकर 15 लाख रुपये किया जाएगा। उन्होंने उपनल के मुख्यालय का शिलान्यास भी किया। मुख्यमंत्री ने नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। सुभाष चन्द्र बोस के जन्म दिवस को ‘‘पराक्रम दिवस’’ के रूप में मनाए जाने पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के पंचम धाम के रूप में आज सैन्यधाम का शिलान्यास किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जब सैन्यधाम को पंचम धाम की संज्ञा दी गई, उसके बाद इस दिशा में तेजी से प्रयास किए गए। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि यह सैन्यधाम जीवंत और जागृत हो। यहां कोई भी आए तो उसको इसकी वास्तविकता की पूर्ण अनुभूति हो। जो लोग यहां आएं और सैन्यधाम की मिट्टी पर पैर रखें तो उन्हें इससे प्रेरणा मिलनी चाहिए। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि मैं चाहता हूं कि भविष्य में उत्तराखंड में सरकार का शपथ ग्रहण इस शहीद स्थल (सैन्यधाम) में हो। प्रदेश की राजधानी में अन्य देशों एवं अन्य राज्यों से कोई देहरादून आते हैं तो सैन्यधाम में जरूर आएं। उन्होंने कहा कि राज्य के शहीदों के गांवों की मिट्टी और शिला इस सैन्यधाम में आनी चाहिए। राज्य की प्रमुख नदियों एवं प्रमुख धार्मिक स्थलों की मिट्टी सैन्यधाम में आए। गढ़वाल राइफल, कुमायूं रेजीमेंट और गोरखा रेजीमेंट में दुश्मनों के दांत खट्टे करने की ताकत एवं पहचान हैं। हमारे सैनिकों की प्रेरणा देशवासियों को प्रेरित करती रहे, यह परिकल्पना सैन्यधाम के पीछे है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि और वीरभूमि है। जब भी देश को जरूरत पड़ी हमारे जवानों ने देश की सेवा के लिए अपना सब कुछ अर्पित कर दिया और पूरी बहादुरी का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि हमारे शहीद सैनिकों के घरों में यदि उनकी कोई निशानी हो तो उनके संरक्षण के लिए सैन्यधाम में एक संग्रहालय बनाया जाएगा। लोगों को प्रेरित करने वाली अनेक स्मृतियां यहां पर होनी चाहिए। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जो लोग सेना में जाना चाहते हैं, उनके लिए यहां पर प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। यहां पर एडवेंचर एवं उससे संबंधित गतिविधियां कर सकते हैं। देहरादून में इस भव्य सैन्यधाम को बनाने के लिए सुझाव भी आमंत्रित किए जाएंगे। विशेषज्ञ समिति इन सभी सुझावों को देखेगी, जो सुझाव सही लगेंगे उन पर अमल होगा। अपर मुख्य सचिव सैनिक कल्याण को सभी लोग अपने सुझाव भेज सकते हैं। विधायक गणेश जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में राज्य सरकार ने सैनिकों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। सैनिकों और पूर्व सैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिए शासन स्तर अपर मुख्य सचिव और जिला स्तर अपर जिलाधिकारी को नोडल अधिकारी तैनात किया है। सैनिकों एवं पूर्व सैनिकों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। राज्य सरकार द्वारा शहीद सैनिकों व अर्ध सैनिकों के एक परिजन को योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी में समायोजित करने की व्यवस्था की है। सचिवालय में प्रवेश के लिए सैनिकों और पूर्व सैनिकों को अलग से प्रवेश पत्र बनवाने की आवश्यकता नहीं है। वे अपने आईकार्ड से ही सचिवालय में प्रवेश कर सकते हैं। वीरता पदक प्राप्तकर्ता सैनिकों एवं उनकी विधवाओं को दी जाने वाली वार्षिकी राशि 30 वर्ष के स्थान पर अब आजीवन दिए जाने की व्यवस्था की गई है। पूर्व सैनिकों को राज्य सरकार की सेवाओं में समूह ‘ग’ की रिक्तियों में पांच प्रतिशत का क्षैतिज आरक्षण अनुमन्य किया गया है। हिन्दुस्थान समाचार/दधिबल/मुकुंद-hindusthansamachar.in

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