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श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा में नागा साधुओं के बनने की प्रक्रिया शुरू

हरिद्वार, 08 अप्रैल (हि.स.)। उपनगरी कनखल में संन्यास रोड स्थित श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा में आज 75 लोगों को नागा संन्यासी बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। गुरुवार को कनखल के संन्यास मार्ग स्थित हरि भारती आश्रम में सबसे पहले 75 लोगों को नागा संन्यासी बनने के लिए दीक्षा दी गई। गंगा तट पर इन ब्रह्मचारियों को दंड दिया गया और इनका यज्ञोपवित संस्कार कराया गया। इन्हें गंगा स्नान कराने के बाद भस्मी निशान कराया गया। इस मौके पर इनके पिता तथा मां के पक्ष की ओर से सात-सात पीढ़ी का श्राद्ध कराया गया फिर इनका स्वयं का श्राद्ध कर इनका पिंडदान किया गया। इसके बाद यह अवशेष यानी अवधूत कहलाए गए। गंगा तट पर इस प्रक्रिया के बाद दंड धारण कर और हाथ में मिट्टी के पात्र में गंगा जल लेकर यह ब्रह्मचारीगण श्री महानिर्वाणी पंचायती अखाड़ा की छावनी में सामूहिक रूप से पैदल चलते हुए और हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए पहुंचे। श्री महानिर्वाणी पंचायती अखाड़ा की छावनी में इन्होंने सामूहिक रूप से शिवजी का सामूहिक पूजन किया। महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव महन्त रविंद्रपुरी महाराज ने बताया कि नागा संन्यासी बनने से पहले संतों को अपना पिंडदान करना पड़ता है, जिसे विजया होम संस्कार कहते हैं। उन्होंने कहा कि नागा संन्यासी बनने की परंपरा आदि जगतगुरु शंकराचार्य के काल से चली आ रही है। यह नारा संन्यासी एक तरह की अखाड़ों की फौज होते हैं, जो धर्म की रक्षा व धर्म का प्रचार करते हैं और अखाड़ों की व्यवस्थाओं में सहयोग करते हैं। अखाड़े के महंत विनोद गिरी हनुमान बाबा ने बताया कि हरिद्वार कुंभ में इस बार श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा ने 75 नागा साधुओं को दीक्षा दी है। शुक्रवार की तड़के 3 बजे ब्रह्म मुहूर्त में इन सभी को श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद महाराज वैदिक विधि-विधान के साथ दीक्षा देंगे। इसके बाद यह शुक्रवार से दशनाम संन्यासी परंपरा में दीक्षित होकर महानिर्वाणी अखाड़ा के नागा साधु बन जाएंगे। यह नागा साधु 12 अप्रैल और 14 अप्रैल के शाही स्नान में शामिल होंगे। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत

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