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अंतःकरण पर देवत्व की छाप डालती है यज्ञ की ऊष्माः धर्मदास

हरिद्वार, 11 मई (हि.स.)। अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा है कि यज्ञ काल में उच्चारित वेद मंत्रों की पुनीत ध्वनि आकाश में व्याप्त होकर लोगों के अंतः करण को सात्विक एवं शुद्ध बनाती है। यज्ञ अनुष्ठान में भाग लेने वाले व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होकर कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। बैरागी कैंप स्थित अखाड़े में आयोजित शिवशक्ति महायज्ञ के 19वें दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि यज्ञ की ऊष्मा मनुष्य के अंतः करण पर देवत्व की छाप डालती है। जहां यज्ञ होते हैं वह भूमि एवं प्रदेश सुसंस्कार की छाप अपने अंदर धारण कर लेता है और वह एक प्रकार का तीर्थ बन जाता है। श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि वर्तमान काल में पूरा विश्व कोरोना महामारी से त्रस्त है। ऐसे में व्यक्ति के अंदर सकारात्मक भाव उत्पन्न करना और संपूर्ण विश्व में धर्म का संदेश धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से ही दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पतित पावनी मां गंगा की असीम कृपा से जल्द ही कोरोना महामारी संपूर्ण विश्व से समाप्त होगी और विश्व में खुशहाली लौटेगी। योगी ओम नाथ एवं योगी रुद्रनाथ महाराज ने कहा कि दुर्गुण एवं दुष्कर्म से विकृत मनोभूमि में यज्ञ से भारी सुधार होता है। इसलिए यज्ञ को पाप नाशक भी कहा गया है। यज्ञ प्रभाव से सुसंस्कृत हुई विवेक पूर्ण मनोभूमि का प्रतिफल जीवन के प्रत्येक क्षण को स्वर्ग जैसे आनंद से भर देता है। इसलिए व्यक्ति को समय निकालकर धार्मिक अनुष्ठानों में अवश्य शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी को समाप्त करने के लिए यज्ञ का आयोजन किया गया है। देवी कृपा एवं ईश्वरीय आशीर्वाद से जल्द ही इस महामारी से संपूर्ण संसार को निजात मिलेगी। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत

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