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चैत्र पूर्णिमा पर घरों में ही स्नान करें: चिदानंद

ऋषिकेश, 26 अप्रैल (हि.स.)। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने देशवासियों से आह्वान किया है कि वह चैत्र पूर्णिमा के विशेष स्नान को भाव भक्ति के साथ अपने घर में ही सम्पन्न करें। अपने परिवारवालों के साथ रहें तथा एक -दूसरे का सहारा बने। उन्होंने कहा कि कुम्भ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है। उसे यूनेस्को ने ग्लोबल इनटैन्जिबल कल्चरल हेरिटेज कहा है। यह भारत के लिये गर्व का विषय है। यह भारतीय संस्कृति का उज्ज्वल भविष्य और भारत का आलोकमय उत्थान दर्शाता है। सरस्वती ने कहा कि कुम्भ सनातन काल से चला आ रहा एक पावन उत्सव है, जिसमें स्नान का विशेष महत्व है। इसके माध्यम से सम्पूर्ण जगत के समक्ष भारतीय सांस्कृतिक आदर्श का प्रकाश प्रकाशित होता है। इसमें अध्यात्म, लोकमंगल, सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया, सर्वभूतहिते रताः, वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से विश्व कल्याण के कार्य किये जाते है। यह आयोजन सांस्कृतिक उदारता और समन्वयशीलता का विशिष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। कुम्भ मेला, मानवता और सार्वभौमिकता का संदेश प्रसारित करता है। स्वामी ने कहा कि इक्कीसवीं सदी में वैज्ञानिक और तकनीक विकास के युग में भी भारत अपने गौरवशाली एवं ऐतिहासिक परम्पराओं को पूरी आस्था के साथ आयोजित करता है। अब तक कुम्भ के तीन शाही स्नान सफलतापूर्वक सम्पन्न हुए हैं। कल विशेष स्नान है इसमें हम सभी भारतवासियों को ध्यान रखना होगा कि सात्विक व एकल स्नान किया जाए। गाइडलाइन का पालन किया जाये। एक बात हमेशा ध्यान रखें कि ‘जान है तो जहान है।’। कुम्भ मेला आस्था का विषय है इसलिये आस्था, व्यवस्था और सुरक्षा के साथ स्नान किया जाये। हिन्दुस्थान समाचार /विक्रम

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