तुलसीदास ने अपनी कविताओं के माध्यम से एक आदर्श समाज किया स्थापित : स्वामी चिदानंद
तुलसीदास ने अपनी कविताओं के माध्यम से एक आदर्श समाज किया स्थापित : स्वामी चिदानंद

तुलसीदास ने अपनी कविताओं के माध्यम से एक आदर्श समाज किया स्थापित : स्वामी चिदानंद

ऋषिकेश, 27 जुलाई (हि.स.)। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि तुलसीदास का अवतरण दिवस भगवान श्रीराम के भक्तों के लिये उत्साह और उमंग लेकर आया है। वर्षों की इंतजार के बाद भगवान श्रीराम का दिव्य और भव्य मन्दिर का निर्माण हो रहा है, यह एक अद्भुत संयोग है। सोमवार को गोस्वामी तुलसीदास के अवतरण दिवस के अवसर पर मुनि ने कहा कि संवत् 1554 को श्रावण शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अवतरित गोस्वामी तुलसीदास ने सगुण भक्ति धारा को प्रवाहित किया। गोस्वामी तुलसीदास ने महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित ’रामायण’ को लोक भाषा में चित्रित किया, जिसका परिणाम है कि वर्तमान समय में महाग्रंथ रामचरित मानस सर्वसुलभ और सहज रूप में उपलब्ध है और जिसके माध्यम से सबका मार्गदर्शन हो रहा है। दैहिक-दैविक भौतिक तापा, रामराज काहुहि नहिं व्यापा। तुलसीदास ने रामराज्य के रूप में एक श्रेष्ठ राज्य की संकल्पना दी है। उन्होंने कहा कि तुलसीदास ने रामचरित मानस के माध्यम से एक आदर्श परिवार, श्रेष्ठ राजा और संस्कारयुक्त पारिवारिक जीवन शैली, धर्म, मर्यादा, भक्ति, त्याग, बड़ों की आज्ञा का पालन जैसे आदर्शे को परिभाषित किया है। रामचरित मानस वास्तव में एक अद्भुत महाग्रंथ है, जिसमें जीवन के सभी सम्बंधों के मध्य आदर्श और मर्यादा को प्रस्तुत किया गया है। रामायण अपने आप में आदर्श जीवन गाथा है, जो सदियों से जीवित रही है और अनन्त काल तक जीवंत रहते हुये ’’हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता’’ को सार्थक करती रहेगी। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि प्राचीन काल से ही भारतीय साहित्य ने समाज को श्रेष्ठ मार्ग दिखाने का काम किया है। तुलसीदास ने तो अपनी कविताओं के माध्यम से एक आदर्श समाज की स्थापना की है, रामराज्य की परिकल्पना को भी साकार किया है। उन्होंने आदर्श और सुसंगठित समाज को बल दिया है। स्वामी ने कहा कि तुलसीदास ने अपने साहित्य के माध्यम से उस समय के समाज का वास्तविक चित्रण किया है। उनका साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं बल्कि प्रतिबिम्ब भी है। हिन्दुस्थान समाचार /विक्रम-hindusthansamachar.in

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