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एम्स ऋषिकेश में की गई दो बच्चों की सफल टेट्रोलोजी ऑफ फेलोट सर्जरी

ऋषिकेश, 25 फरवरी (हि.स.)। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के कार्डियक थोरेसिक सर्जरी विभाग ने हाल ही में दो बच्चों की जन्मजात टेट्रालोजी ऑफ फेलोट (टीओएफ) बीमारी की सफलतापूर्वक सर्जरी को अंजाम दिया है। बताया गया कि दोनों बच्चे तीन साल से इस बीमारी से ग्रसित थे। इस सफलता के लिए एम्स प्रोफेसर रवि कांत ने चिकित्सकीय टीम की सराहना की है। उन्होंने बताया कि संस्थान में पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी प्रोग्राम सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। यह मेडिकल विभाग की सबसे जटिल ब्रांच है, जिसमें किसी भी केस को करते समय आधुनिक मशीनों के साथ-साथ संपूर्ण टीम का सहयोग जरूरी होता है। इससे जुड़े ऑपरेशन काफी जटिल एवं नाजुक होते हैं तथा ऑपरेशन के दौरान पेशेंट की जान जाने का खतरा बना रहता है। बावजूद इसके दिल की अनेक जन्मजात बीमारियां हैं जो कि जानलेवा हैं, सर्जरी के बिना इनका इलाज असंभव होता है। मगर सर्जरी के पश्चात अच्छा जीवन संभव हो जाता है। सीटीवीएस विभाग के कॉर्डियक थोरेसिक सर्जन डॉ. अनीश गुप्ता के अनुसार एम्स में पिछले डेढ़ वर्ष में लगभग 100 से अधिक मरीज अपनी जन्मजात हृदय की बीमारियों से निजात पा चुके हैं, जिसमें शिशु, किशोर व युवा भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि टेट्रोलोजी ऑफ फेलोट एक गंभीर बीमारी है,जिसमें धीरे-धीरे हार्ट फेल हो जाता है। हाल में संस्थान में 3 साल के दो बच्चों का सफल टीओएफ रिपेयर किया गया है, जिसमें एक चकराता, देहरादून निवासी बच्ची व रुड़की हरिद्वार का एक बच्चा शामिल हैं। डॉ. अनीश के मुताबिक कई बार इस ऑपरेशन में फेफड़े की नली का रास्ता खोलते वक्त पल्मोनी वाल्व काटना पड़ता है, जिससे ऑपरेशन की जटिलता बढ़ जाती है। साथ ही कुछ दशकों बाद मरीज को वाल्व बदलने की आवश्यकता पड़ती है। जटिलतम शल्य क्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देने पर दोनों बच्चों के परिजनों ने इसके लिए एम्स प्रोफेसर रवि कांत का धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही उन्होंने बताया कि संस्थान निदेशक प्रो. रवि कांत जी के सतत प्रयासों से ही उत्तराखंड में पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध हो पाई है, जिससे उनके बच्चों को नवजीवन मिल सका है। हिन्दुस्थान समाचार /विक्रम

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