भिलंगना के सात गांवों पर मंडरा रहा आपदा का खतरा
नई टिहरी, 16 फरवरी (हि.स.)। भिलंगना ब्लॉक के बूढ़ाकेदार के सात गांवों पर आपदा का खतरा मंडरा रहा है। इन गांवों के ऊपर करीब 65 सौ फीट की ऊंचाई पर स्थित दो झीले कभी भी इन गांवों में तबाही ला सकती हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविद ने झीलों का अध्ययन कर सुरक्षा के उपाय करने की मांग की है। भिलंगना का बूढ़ाकेदार क्षेत्र आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशीन जोन में पड़ता है, जिसमें मारवाड़ी, निवालगांव, आगर, रक्षीया, थाती, कोटी और अगुंडा गांव पूर्व से ही आपदाग्रस्त हैं। वर्ष 2002 में बादल फटने से झील का पानी रिसने से इन गांवों को बहुत नुकसान पहुंचा हुआ था, जिसमें 28 लोगों की मौत हो गई थी। भूगर्भीय सर्वेक्षण ने उक्त गांवों को संवेदनशील बताते हुए विस्थापन की सिफारिश की थी। क्षेत्र में मारवाड़ी गांव के ऊपर स्थित मंज्याडताल और जरालताल भी उक्त गांवों के लिए भारी खतरा बने हुए हैं। इन तालों में हजारों गैलन पानी जमा है। बरसात में इन तालों का पानी ओवर फ्लो हो जाने के बाद गांवों की ओर बहकर आने से भूस्खलन होने लगता है। कभी ये ताल टूट गए तो सातों गावों में जान-माल का नुकसान हो सकता है। सर्वोदय नेता व पर्यावरणविद बिहारी लाल का कहना है कि ये सात गांव ठीक झीलों के नीचे बसे हैं, जहां की मिट्टी दलदली होने के कारण हल्का पानी का रिसाव होने पर बाढ़ और भूस्खलन हो जाता है। उन्होंने शासन- प्रशासन से उक्त झीलों का अध्ययन कराकर सुरक्षा के उपाय करने की मांग की है। वहीं वनाधिकार आंदोलन के संयोजक किशोर उपाध्याय ने भी उक्त झीलों से बड़ी आबादी को खतरा बताते हुए सरकार से भूगर्भीय सर्वेक्षण कर ग्रामीणों की सुरक्षा की मांग की है। हिन्दुस्थान समाचार/प्रदीप डबराल-hindusthansamachar.in