Prohibition on bathing in Devprayag and Rishikesh
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देवप्रयाग व ऋषिकेश में स्नान पर रोक से साधु संतों में आक्रोश, साधु संतों की जिद से बनी टकराव की स्थिति

मकर सक्रांति व बसंत पंचमी के पर्व पर दोनों संगमों पर होगा संतों का स्नान -महंत गोपाल गिरी ऋषिकेश, 05 जनवरी (हि.स.)। देवप्रयाग व ऋषिकेश के संगम पर मकर सक्रांति व बसंत पंचमी के पर्व पर साधु संतों को स्नान करने की पूर्व में दी गई अनुमति को कुंभ मेला प्रशासन के निरस्त करने पर लोगों में आक्रोश है। प्रशासन के इस आदेश से तमाम धार्मिक, राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने विरोध जताया है। षड्दर्शन साधु समाज व अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति ने दोनों पर्वों पर उक्त स्थानों पर संतों के स्नान कराने का ऐलान किया है। इससे साधु संत और प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। प्रशासन के निर्णय के विरोध में आज कबीर चौरा आश्रम में एक बैठक हुई। बैठक में सर्गासन साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत गोपाल गिरी ने निर्धारित तिथियों पर ही संतों के स्नान करवाने का ऐलान किया है। बैठक में सर्वसम्मति से षड्दर्शन साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत गोपाल गिरी को कुंभ मेला प्रशासन के उक्त आदेश के विरुद्ध उत्तराखंड हाई कोर्ट में चुनौती देने के लिए अधिकृत किया गया है। बैठक में दौरान देवप्रयाग नगर पंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल, पंडित रवि शास्त्री, कबीर चौरा आश्रम के महंत कपिल मुनि, अधिवक्ता रमा बल्लभ भट्ट, अखिलेश कोठियाल, स्वामी सुरेंद्र दास ,मनोज कुमार सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे। प्रशासन के अनुमति के निरस्त करने के बाद भी संतों के स्नान के लिए सामाजिक संस्थाओं ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। प्रचार-प्रसार के साथ निमंत्रण पत्र भी वितरित किए जा रहे हैं। वहीं इस संदर्भ में देश के प्रधानमंत्री गृह मंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी पत्र भेजे गए हैं। यदि प्रशासन के आदेश के विपरीत साधु संतों के स्नान करने से टकराव की स्थिति बन सकती है। बताया गया कि कुंभ मेला के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में जाने के लिए षड्दर्शन साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत गोपाल गिरी ऋषिकेश से रवाना हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि कुंभ मेला प्रशासन ने पूर्व में देवप्रयाग के संगम पर 14 जनवरी मकर सक्रांति तथा ऋषिकेश के त्रिवेणी संगम पर 16 फरवरी बसंत पंचमी के पर्व पर साधु-संतों के स्नान करने की अनुमति दी थी। साथ ही प्रशासन ने संबंधित नगर पंचायत व नगर निगम सहित सभी विभागों को घाट पर व्यवस्था जुटाने के निर्देश दिए थे। लेकिन बाद में अचानक कुंभ मेला प्रशासन ने बिना किसी कारण बताएं अखाड़ा परिषद का हवाला देते हुए दोनों स्थानों पर साधु संतों के स्नान के लिए दी अनुमति को निरस्त कर दिया। हिन्दुस्थान समाचार /विक्रम-hindusthansamachar.in

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