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पौड़ी में बैसाखी तक चलेगी मांगल गीतों, थड़िया और चौफला की बहार

पौड़ी, 16 फरवरी (हि.स.)। सांस्कृतिक व पर्यटन नगरी पौड़ी में बैसाखी पर्व तक मांगल गीतों व थड़िया, चौफला की बहार रहेगी। महिला मंगल दल व जागृति समिति पौड़ी गांव की बुजुर्ग महिलाएं हर रोज शाम को गांव में मांगल गीत गाएंगी। साथ ही थड़िया, चौफला व झुमेलो जैसे पारंपरिक लोक नृत्य भी करेंगी। बसंत पंचमी के पर्व से इसका शुभारंभ कर दिया गया है। महिलाओं का कहना है कि उनका उद्देश्य अपनी पंरपराओं का संरक्षण व युवा पीढ़ी को उसके प्रति आकर्षित करना है। मंगलवार को बसंत पंचमी के अवसर पर पौड़ी गांव में महिला मंगल दल व जागृति समिति पौड़ी गांव की महिलाओं ने मांगल गीतों की श्रृखंला का शुभारंभ किया। समिति की अध्यक्ष कमला नेगी ने बताया कि वर्ष 2004 से समिति इस श्रृखंला का आयोजन कर रही है। इसके तहत हर वर्ष बसंत पंचमी से बैशाखी तक समिति की सदस्य मांगल गीतों का गायन करती हैं। कमला देवी ने बताया कि वर्तमान समय में युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति व परंपराओं से दूर होती जा रही है। युवा भौतिकवादी पाश्चात्य संस्कृति की ओर बढ़ रहे हैं, जो कि हमारे लिए नुकसानदायक है। उन्होंने कहा कि हमारी पहचान उत्तराखंड की विशिष्ठ परंपराएं हैं जिनसे हम पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखते हैं। समिति की सदस्य पवित्रा देवी, सुलोचना देवी, पप्पू देवी ने कहा कि उनका प्रयास है कि वह अपनी परंपराओं को बचा कर रख सकें। नई पीढ़ी को इन पंरपराओं से अवगत करा सकें। इन महिलाओं ने युवा पीढ़ी से अपनी परंपराओं व संस्कृति की ओर लौटने की अपील भी की। इस दौरान महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में मांगल गीतों के गायन के साथ ही झुमेलों भी किया। महिलाओं ने यहां मौजूद ग्रामीणों को टीका लगाकर पकवान भी खिलाए। सुबह सभी महिलाओं ने घर के दरवाजों पर गोबर के साथ जौ भी लगाए। हिन्दुस्थान समाचार/ राजीव-hindusthansamachar.in

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