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ऐतिहासिक धरोहरों के रख-रखाव से पीढ़ियां होंगी रूबरू : सतपाल महाराज

-उत्तराखंड की धरोहरों को संवारने के लिए किया जा रहा आमंत्रित देहरादून, 17 अप्रैल (हि.स.)। पर्यटन व संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि हम अपनी ऐतिहासिक धरोहरों का रखरखाव करेंगे, तभी आने वाली पीढ़ियां राष्ट्र के भव्य इतिहास से रूबरू होती रहेंगी। राज्य में उन कंपनियों को आमंत्रित किया जा रहा है जो उत्तराखंड की धरोहरों को संवारने का काम करेंगी। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने विश्व धरोहर दिवस अथवा विश्व विरासत दिवस पर कहा कि केंद्र सरकार की अपनी धरोहर अपनी पहचान योजना के तहत उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) देश की कंपनियों को देवभूमि की धरोहर को संवारने के लिए समय-समय पर सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों के द्वारा आंमत्रित करता रहता है। जिससे प्रदेश की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक स्थल पर्यटकों को आकर्षित कर सकें। देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को बताया जा सके कि हमारी ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाए रखने के लिए प्रदेश सरकार किस तरह से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड भारतीय संस्कृति, धर्म और आध्यात्म का सदैव केन्द्र रहा है। इसकी विभिन्न मोहक, दुर्गम पर्वत श्रेणियों, घाटियों में यंत्र-तंत्र अकूत पुरातात्विक एवं सांस्कृतिक धरोहरें विद्यमान हैं। गंगोत्री, यमुनोत्री, केदार-बदरी, जागेश्वर, बागेश्वर, बैजनाथ, आदि बद्री, जगत राम, बालेश्वर मंदिर, लाखामंडल इन्हीं पर्वत मालाओं और रमणीय दुर्गम वनों में स्थित है। विश्व धरोहर दिवस अथवा विश्व विरासत दिवस प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य पूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाना है। बता दें कि संस्कृति विभाग और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहयोग से केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के साथ ‘एडॉप्ट ए हेरिटेजः अपनी धरोहर, आपनी पहचान’ की एक पहल की गईं हैं। 71 स्थल राज्य संरक्षित धरोहर संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट द्वारा बताया गया कि भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के अन्तर्गत 47 राज्य संरक्षित एवं 24 राज्य संरक्षणाधीन कुल 71 स्मारक स्थलों को राज्य संरक्षित धरोहर घोषित किया गया है। उत्तराखंड राज्य के लगभग जार्ज एवरेस्ट मसूरी, देवलगढ़ राजराजेश्वरी मंदिर पौड़ी, गर्तांग गली-नेलोंग घाटी, चयनशील बनगान उत्तरकाशी, नारायण कोटि रूद्रप्रयाग, देवा डांडा गुजरूगढ़ी पौड़ी, पिथौरागढ़ किला, सती घाट हरिद्वार, क्रैंकरिज अल्मोड़ा आदि स्थलों को अंगित किया गया है। इसके तहत, राज्य सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, निजी क्षेत्र की फर्मों और व्यक्तियों के साथ-साथ पूरे भारत में चयनित स्मारकों, विरासत और पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए संस्थाओं को आमंत्रित करती है। हिन्दुस्थान समाचार/राजेश

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