केदारनाथ त्रासदीः  देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते की और मोहलत
केदारनाथ त्रासदीः देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते की और मोहलत

केदारनाथ त्रासदीः देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते की और मोहलत

कोर्ट ने पूछा शवों को खोजने के लिए कौन से वैज्ञानिक तरीके किए जा सकते हैं इस्तेमाल नैनीताल, 17 जुलाई (हि.स.)। हाईकोर्ट ने 2013 में केदारनाथ आपदा के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद वाडिया इंस्टीटयूट देहरादून को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि केदारनाथ त्रासदी में लापता लोगों के शवों को खोजने के लिए कौन कौन से वैज्ञानिक तरीके इस्तेमाल किए जा सकते हैं। सुनवाई के दौरान वाडिया इंस्टीट्यूट रिपोर्ट पेश नहीं कर सकी तो कोर्ट ने दो सप्ताह अतिरिक्त समय और दे दिया। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार दिल्ली निवासी अजय गौतम ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि आपदा के बाद केदार घाटी में से करीब 4200 लोग लापता थे, जिसमें से 600 के कंकाल बरामद किए गए थे लेकिन आपदा के बाद आज भी 3600 लोग केदारघाटी में दफन हैं, जिनको सरकार निकालने को लेकर कोई कार्य नहीं कर रही है। याचिकाकर्ता की ओर से प्रार्थना की गई कि सरकार इस मामले को गभीरता से ले और केदारघाटी से शवों को निकलवाकर उनका अंतिम संस्कार करवाए। याचिका में कहा कि 16 जून, 2013 में आई आपदा बेहद खतरनाक थी। आपदा में 4,400 से अधिक लोग मारे गए और लापता हो गए। 4,200 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया। इनमें 991 स्थानीय लोग अलग-अलग जगह पर मारे गए। याचिका में कहा कि 11,091 से ज्यादा मवेशी बाढ़ में बह गए या मलबे में दबकर मर गए। ग्रामीणों की 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई। 2,141 भवन खत्म हो गए। 100 से ज्यादा बड़े व छोटे होटल ध्वस्त हो गए। याचिका में कहा कि यात्रा मार्ग में फंसे 90 हजार यात्रियों को सेना ने और 30 हजार लोगों को पुलिस ने बाहर निकाला था। आपदा में 9 नेशनल हाइवे, 35 स्टेट हाइवे और 2385 सड़कें 86 मोटर पुल, 172 बड़े और छोटे पुल बह गए या क्षतिग्रस्त हो गए थे। हिन्दुस्थान समाचार/लता नेगी-hindusthansamachar.in

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