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अध्यात्म से जुड़े बिना योग को जानना असंभवः कर्मवीर

हरिद्वार, 02 मार्च (हि.स.)। देश के जाने-माने योगाचार्य आचार्य कर्मवीर ने मंगलवार को कहा कि योग एक ऐसी विधा है जिसे शिष्य अपने गुरु के चरणों में बैठकर सीखता है। योग का बाजारीकरण नहीं किया जा सकता। योग में सभी बीमारियों का उपचार समाहित है। उन्होंने यह उद्गार गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित पूर्व स्नातकों के मिलन समारोह में व्यक्त किए। समारोह के मुख्य अतिथि आचार्य कर्मवीर ने कहा कि योग गूढ़ विषय है। इसकी आत्मा अध्यात्मिक है। बिना अध्यात्म से जुड़े योग को नहीं जाना जा सकता। महर्षि पतंजलि के सिद्धान्तों को अपनाकर आरोग्य व आध्यात्मिक जीवन जिया जा सकता है। महर्षि पतंजलि के सिद्धान्तों में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। दुनिया में जारी हिंसा का समाधान महर्षि पतंजलि की विचारधारा पर चलकर ही पाया जा सकता है। प्राणायाम के माध्यम से नकारात्मक विचारों दूर किया जा सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्त्री ने कहा कि देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में गुरुकुल के विद्यार्थी अपनी प्रतिभा का परचम फहरा रहे हैं। यह विश्वविद्यालय आप सभी स्नातकों का है। आप सभी इसके अपने हैं। गुरुकुल ने विभिन्न क्षेत्रों में विद्वान समाज को दिए हैं। आचार्य कर्मवीर गुरुकुल से निकलकर विश्व में योग की पताका फहरा रहे हैं। कुलसचिव प्रो. दिनेश चन्द्र भट्ट ने सभी पूर्व स्नातकों का स्वागत किया। संकायाध्यक्ष प्रो. आरकेएस डागर ने कहा कि योग विभाग द्वारा आयोजित इस आयोजन से सभी पूर्व स्नातकों को एक मंच पर एकत्रित होने का अवसर प्राप्त हुआ है। पूर्व स्नातक डा. सुरेश वर्णवाल, डा. पवन कुमार, डा. किरण, डा. नवजयोति सिद्धु ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में प्रियंका उपाध्याय, कृष्णा दग्दी, रेशु चैहान, श्वेता शर्मा, मोनिका आनन्द व प्रगति ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में डा. योगेश्वर दत्त, डा. निष्कर्ष शर्मा, उदित, धर्मेन्द्र बिष्ट, मोहन, जितेन्द्र मोहन, अरूण जोशी एवं जोगेन्द्र आदि उपस्थित रहे। संचालन डा. ऊधम सिंह ने किया। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत/मुकुंद

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