it-is-important-to-be-sensitive-to-natural-phenomena-ravindra-jugran
it-is-important-to-be-sensitive-to-natural-phenomena-ravindra-jugran

प्राकृतिक घटनाओं के प्रति संवेदनशील होना जरूरीः रविंद्र जुगरान

देहरादून, 09 फरवरी (हि. स.)। आम आदमी पार्टी नेता व पूर्व दर्जाधारी रविंद्र जुगरान ने मंगलवार को कहा कि अब समय आ गया है कि प्राकृतिक घटनाओं के प्रति संवेदनहीन होने के वजाय संवेदनशील हुआ जाए। ऐसे संवेदनशील स्पॉट पर विशेषज्ञ द्वारा जांच और नजर बनाना जरूरी है ताकि आने वाली किसी भी घटना के प्रति सजग रहा जा सके। आप नेता ने पार्टी मुख्यालय में पत्रकार वार्ता मे यह बात कही। उन्होंने कहा कि 2013 में आई भीषण आपदा से सबक लेना चाहिए था। अफसोस की उस आपदा से सबक नहीं लिया गया। अब सरकारें पर्यावरण ,जलवायु परिवर्तन,ग्लेशियर या वहां बनने वाली झीलों के प्रति सजग हो जाएंगी। 2014 की चौहान रिपोर्ट और वाडिया के विशेषज्ञ डोभाल ने अपने शोध में आने वाले खतरों से आगाह जरूर करवाया है। डॉ. डोभाल ने ग्लेशियर के आसपास लगभग 40 झीलों का जिक्र किया था। लेकिन सरकारें इन 7 सालों में केदारनाथ आपदा के बाद इसके प्रति सजग नहीं दिखाई दीं। अब चमोली के रैणी गांव की इस घटना से सबक लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ का नतीजा हैं ऐसे जलप्रलय। उन्होंने कहा कि ऋषिगंगा में आई आपदा से निपटने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने सामूहिक सहयोग दिया। यह समय आरोप-प्रत्यारोप का नहीं है। आपदा पीडितों की हरसंभव मदद की दरकार है। आप नेता ने कहा कि राज्य का आपदा प्रबंधन विभाग अतिमहत्वपूर्ण विभागों में से एक है लेकिन इसके हालात कुछ ज्यादा बेहतर नहीं जबकि ये आपदा प्रदेश है। यहां के लोग समय -समय पर आपदा से जूझते रहते हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के हालात ये हैं कि मुख्यालय से लेकर लगभग सभी जनपदों में अधिकारी- कर्मचारी अस्थाई हैं। इसके अलावा ,उच्च हिमालय में चल रहे सभी पावर प्रोजेक्ट्स की समीक्षा जरूरी है। ईको सेंसटिव जोन में चल रहे सभी पावर प्रोजेक्ट्स की विशेष समीक्षा की जानी चाहिए। उच्च हिमालय में जितने भी प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, ये देखना जरूरी है कि उनको वन पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति और अनापत्ति प्रमाण पत्र मिला है की नहीं। हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/मुकुंद-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in