कोटद्वार से ही चुनाव लड़ने के लिए हरक सिंह ने बिछानी शुरू की राजनीतिक बिसात
-कोटद्वार विधानसभा सीट पर फोकस, समर्थकों को जिम्मेदारी सौंपी -गढ़वाल मंडल में इधर से उधर क्षेत्र बदलते रहे हैं हरक सिंह रावत देहरादून, 13 जनवरी (हि.स.)। इसमें अब कोई शंका नहीं रह गई है कि कैबिनेट मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत कोटद्वार विधानसभा सीट से ही अगला चुनाव लड़ेंगे। कुछ दिन पूर्व तक विधानसभा चुनाव न लड़ने की इच्छा जताने वाले रावत ने एक बार फिर अपना फोकस कोटद्वार सीट पर कर दिया है। 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए रावत ने इस क्षेत्र के अपने समर्थकों को अहम जिम्मेदारी सौंप कर राजनीतिक बिसात बिछाना शुरू कर दिया है। राज्य गठन के बाद से रावत लगातार अपनी विधानसभा सीट बदलते रहे हैं। मगर कोटद्वार सीट को कई वजहों से सुरक्षित मानते हुए रावत ने अब अपना पूरा ध्यान यहीं पर केंद्रित कर लिया है। उत्तराखंड राज्य का निर्माण होने से पहले रावत पौड़ी सीट से ही चुनाव लड़ते थे, लेकिन पिछले 20 सालों में वह पौड़ी से हटकर लैंसडौन, रूद्रप्रयाग और कोटद्वार सीटों पर भी चुनाव लड़़ चुके हैं। सीटों के मामले में इतने सारे प्रयोग करने के बावजूद यह रावत का बेहतर चुनाव प्रबंध ही रहा कि वह सभी जगहों से चुनाव जीते। लैंसडौन और रूद्रप्रयाग से चुनाव जीतकर दोबारा वहां से मैदान में न उतरने पर स्थानीय लोगों में उनके प्रति नाराजगी भी रही है, लेकिन रावत के सियासी कद पर इससे कोई असर नहीं पड़ा है। 2016 मेें भाजपा में शामिल हुए रावत ने 2017 के विधानसभा चुनाव में उस कोटद्वार सीट की चुनौती को स्वीकार किया, जिसने 2012 में बीसी खंडूड़ी जैसे दिग्गज को हराकर सत्ता में वापसी कर भाजपा की उम्म्मीदों को धराशायी कर दिया था। खंडूड़ी इस चुनाव में भाजपा के सीएम कैंडिडेट घोषित थे। कांग्रेस के दिग्गज सुरेंद्र सिंह नेगी ने खंडूड़ी कोे हराया था, लेकिन 2017 में रावत ने उन्हें हार का स्वाद चखा दिया। नेगी की पत्नी हेमलता नेगी वर्तमान में कोटद्वार की मेयर है और सुरेंद्र सिंह नेगी की चुनाव को लेकर तैयारी तेज है। भाजपा की अंदरूनी राजनीति में दिग्गजों के निशाने पर आए रावत ने तीन महीने पहले 2022 का चुनाव न लड़ने की इच्छा जताकर पार्टी को दबाव में लेने की कोशिश की थी, लेकिन जमीन पर स्थिति अलग है। रावत और उनके समर्थक कोटद्वार में लगातार पसीना बहा रहे हैं। मेडिकल काॅलेज के कोटद्वार में निर्माण को लेकर हरक सिंह रावत के चर्चित बयान को याद करें, तो समझ में आ जाता है कि कोटद्वार में ही वह अगला चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा था, 'मैं मंत्री रहूं या न रहूं, कोटद्वार में मेडिकल काॅलेज बनकर रहेगा।' वैसे, भाजपा संगठन से इतर भी रावत ने कोटद्वार में अपनी मजबूत टीम बनाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। ताकि भविष्य में यदि कोई राजनीति उठापठक होती है, तो भी वह कोटद्वार को केंद्र में रखकर किसी नुकसान से बच सकें। हिन्दुस्थान समाचार/विशेष संवाददाता-hindusthansamachar.in