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चिपकों आंदोलन की नैत्री गौरा देवी के गांव रैणी को संवारेगा वन विभाग

देहरादून, 09 फरवरी (हि.स.)। वन मंत्री हरक सिंह ने रावत ने कहा कि आपदा की तबाही में चिपकों आंदोलन की नैत्री व पर्यावरण प्रेमी गौरा देवी के गांव रैणी के लिए वन विभाग बड़े स्तर पर आजीविका और विकास के लिए कार्य योजना बनाएगा। इसके साथ ही वन और मानवजनित संघर्ष में अब मुआवजा तीन दिन के अंदर मिलेगा। मंगलवार को मंथन सभागार में ऋषि-गंगा आपदा को लेकर देर शाम तक वन विभाग की राज्यस्तरीय बैठक वन मंत्री हरक सिंह रावत की उपस्थिति में हुई। बैठक के पश्चात मंत्री हरक सिंह रावत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वन विभाग विश्व विख्यात पर्यावरण प्रेमी गौरा देवी चिपको आंदोलन के जरिए वन और पर्यावरण बचाव का पूरे देश-विदेश में संदेश दिया हैं। ऋषि-गंगा की त्रासदी में उनके पैतृक गांव रैणी समेत तमाम आपदा प्रभवित गांवों का वन पंचायत के माध्यम से अलग-अलग कार्ययोजना बनाकर आजीविका के क्षेत्र में विकास के लिए काम किया जाएगा। वहां के लोगों को बेेेहतर जीवन औऱ खुशहाली के लिए काम किया जायेगा। वन मंत्री ने कहा कि राज्य में केंद्रपोषित योजना का 90 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया और इस इस वित्तीय वर्ष में 78 फीसद धनराशि अभी तक खर्च किया जा चुका हैं। पिछले वर्ष की तुलना में महामारी के बाद भी अच्छा कार्य हुवा है। उन्होंने बताया कि जंगल को हराभरा बनाने के लिए प्लांटेशन के लिए इस बार अलग अंदाज में पौध को लागया जाएगा। पैदवार स्थानों और हाइट के अनुसार पौध को चयन किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक पौध और नर्सरी को उगाया जा सके। मंत्री ने कहा कि मानव और जीव जंतु के संघर्ष में हुए नुकसान का तीन दिन के अंदर अब मुवावजा राशि दी जाएगी। आपदा नियमों के तहत कुछ ना कुछ मिलेगा। शेष राशि का भी भुगतान भी जल्द कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पिछला भुगतान जिलाधिकारी के माध्यम से होगा जबकि अब का वन विभाग करेगा। मंत्री ने बताया कि बैठक में निर्णय लिया गया कि वनाग्ग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए अब सालो पर फायर सेल काम करेगा। जबकि पहले सीजन के अनुसार व्यवस्था थी। इसके लिए मुख्यालय में सेल स्थापित होगा। वहीं वन पंचायतों को सक्रिय कर उन्हें बेहतर कार्य करने के लिए पहले स्थान पर पांच लाख,दूसरे स्थान पर तीन लाख और तीसरे स्थान पर रहने वालों को दो लाख की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। अब हर माह विभाग के कार्यों की मॉनिटरिंग की जाएगी। आगजनी को रोकने के लिए प्रशिक्षण के साथ यंत्र और आवश्यक संशाधन का उपयोग के लिए खरीदा जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की बाम्बू बास प्रोत्साहन को राज्य में बढ़ावा दिया जाएगा। इको समितियों को सक्रिय किया जाएगा। बाम्बू बास की विभिन्न प्रजातियों को नर्सरी के जरिये उगाया जाएगा। इसके लिए प्रशिक्षण के लिए असम, कर्नाटक, बंगलोर दल को भेजा जाएगा। वे कुछ दिन तक वहां रहकर बारीकी से काम को सीखेंगे। साथ ही कहा कि ईको फ्रेंडली का संदेश वन विभाग अपने कार्यकाल से देगा। विभाग में कोई भी प्लास्टिक फर्नीचर का उपयोग नहीं किया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/राजेश-hindusthansamachar.in

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