वर्तमान के अंधकारों का भविष्य है अध्यात्मः डॉ चिन्मय
वर्तमान के अंधकारों का भविष्य है अध्यात्मः डॉ चिन्मय

वर्तमान के अंधकारों का भविष्य है अध्यात्मः डॉ चिन्मय

फ्रेंड्ज आफ कॉमनवेल्थ ने आयोजित किया वेबिनार कॉमनवेल्थ राष्ट्रों के नाम भारत का पैगाम हरिद्वार, 02 जुलाई (हि.स.)। कामनवेल्थ सचिवालय के 55वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर भारतीय संस्कृति के प्रचारक के रूप में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था। इस वेबिनार में कामनवेल्थ से जुड़े 54 देशों के उच्च स्तरीय प्रतिनिधि शामिल रहे। अपने संबोधन में प्रतिकुलपति डॉ. पण्ड्या ने कहा कि वर्तमान के अंधकारों का भविष्य अध्यात्म है, लेकिन इस विश्व इस समय विषम परिस्थिति से गुजर रहा है। ऐसे में सबकी निगाहें भारत पर आकर टिक गयी है। उन्होंने कहा कि आज मनुष्य जगत की आवश्यकता है कि भारतीय संस्कृति, वसुधैव कुटुंबकम के भाव को शिरोधार्य करें और कॉमनवेल्थ जैसे विस्तृत तथा सौहार्द्रपूर्ण समूह में आध्यात्मिक चिंतन का संचार हो और प्रत्येक राष्ट्र अपने को एक दूसरे से साहचर्य स्थापित हों। पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की बात को याद करते हुए प्रतिकुलपति ने कहा कि विषम परिस्थितियां हमारे भीतर भय और हताशा नहीं ला सकती, बल्कि यह परिस्थिति हमारे लिए समय की मांग है कि हम कुछ कर गुजरे। डॉ. पण्ड्या ने पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के प्रतिपादित एक राष्ट्र, एक संस्कृति के विचार को रखा। वेबिनार को फ्रेंड्ज आफ कॉमनवेल्थ नाम की संस्था ने आयोजित किया था। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या के अतिरिक्त कॉमनवेल्थ की प्रमुख सचिव बैरॉनेस पैट्रिसिया स्कॉट्लैड को आमंत्रित किया गया था। उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष 01 जुलाई कॉमनवेल्थ सचिवालय दिवस के रूप में मनाया जाता है। कॉमनवेल्थ विश्व के चुनींदा 54 देशों का एक समूह है। इस समूह में भारत का एक विशिष्ट स्थान है। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत-hindusthansamachar.in

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