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यदि आप कोविड पाॅजिटिव हैं, तो घबराएं नहीं : एम्स निदेशक

ऋषिकेश, 13 मई (हि.स.)। एम्स निदेशक प्रो. रवि कान्त ने बताया कि यदि आप कोविड पाॅजिटिव हैं, तो घबराएं नहीं। इसके लक्षण पता लगने पर पहले सप्ताह के दौरान यदि प्लाज्मा थैरेपी से उपचार किया जाए, तो कोविड संक्रमण में उपचार की यह तकनीक विशेष लाभकारी होती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में प्लाज्मा थैरेपी पद्धति से अब तक 146 कोविड संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा चुका है। एम्स निदेशक ने इस बाबत बताया कि कॉनवेल्सेंट प्लाज्मा एंटीबॉडी प्रदान करने का काम करता है। इसके उपयोग से संक्रमित व्यक्तियों में वायरस बेअसर हो जाता है। उन्होंने बताया कि जब कोई व्यक्ति किसी सूक्ष्म जीव से संक्रमित हो जाता है, तो उसके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इसके खिलाफ लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करने का काम करती है। यह एंटीबॉडी रक्त के प्लाज्मा में मौजूद होती है और बीमारी से उबरने की दिशा में अपनी संख्याओं में वृद्धि करती है। इससे वायरस जल्दी समाप्त होने लगते हैं। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया से रिकवरी तेज होने पर मरीज जल्दी स्वस्थ हो जाता है। एम्स निदेशक रवि कान्त ने बताया कि संस्थान में प्लाज्मा थैरेपी की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। लिहाजा कोरोना से स्वस्थ हो चुके लोगों को दूसरों का जीवन बचाने के लिए प्लाज्मा अवश्य डोनेट करना चाहिए। ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन एंड ब्लड बैंक (एम्स) की विभागाध्यक्ष डॉ. गीता नेगी ने बताया कि एम्स में अब तक 146 कोविड मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति पूरी तरह ठीक होने के बाद प्लाज्मा दान कर सकता है। डोनर के शरीर से एफेरेसिस तकनीक से ब्लड निकालने के बाद प्लाज्मा एकत्रित किया जाता है। ऐफेरेसिस की सुविधा नहीं होने पर सामान्य रक्तदान से भी प्लाज्मा लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा थैरेपी एक ऑफ लेवल थैरेपी है। यदि कोरोना के लक्षण आने के 7 दिनों के दौरान ही इस थैरेपी का उपयोग किया जाए, तो इलाज उपयोगी होता है। उन्होंने बताया कि स्वस्थ्य व्यक्ति के रक्त में 55 प्रतिशत प्लाज्मा मौजूद रहता है। एम्स ऋषिकेश में प्लाज्मा थैरेपी के लिए सभी संसाधन, उपकरण और प्रशिक्षित स्टाफ उपलब्ध है। हिन्दुस्थान समाचार /विक्रम

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