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दैवीय शक्तियां करती हैं समाज में समरसता स्थापित करने का प्रयत्नः शास्त्री

हरिद्वार, 31 मार्च (हि.स.)। अवकाश प्राप्त आईएएस कथा व्यास पंडित रामपाल शर्मा शास्त्री ने कहा है कि भक्तों के हृदय में प्रकट होने वाले भगवान को भक्तों की इच्छा के अनुरूप लोहे का खंभा फाड़कर प्रकट होना पड़ता है। भगवान के वरदान का दुरुपयोग करने वाला भी मृत्यु के दंश से बच नहीं पाता है। वे बुधवार को प्रेम नगर आश्रम के सभागार में श्री अमरनाथ बर्फानी सेवा समिति अलवर के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ में जीवन के यथार्थ का वर्णन कर रहे थे। जड़ भरत चरित्र एवं नरसिंह अवतार की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि देवता एवं असुरों में यही अंतर होता है कि दैवीय शक्तियां समाज में समरसता स्थापित करने का प्रयत्न करती हैं। जबकि असुर अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए सतपुरुषों पर अत्याचार करते हैं। मृत्यु को जीवन का सत्य बताते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति जब सन मार्ग से भटक जाता है तो उसको मिले वरदान स्वता ही अभिशाप में बदल जाते हैं। इसीलिए भगवान ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया। आयोजक संस्था के पदाधिकारियों ने भगवान के नरसिंह अवतार की आरती उतारकर ईश्वरीय सत्ता को अपने जीवन आचरण में उतारने का संकल्प लिया। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत/मुकुंद

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