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राष्ट्र धर्म का सभी निष्ठा और ईमानदारी से निर्वहन करें : स्वामी रामदेव

हरिद्वार, 16 फरवरी (हि.स.)। पतंजलि योगपीठ में वसंत ऋतु का स्वागत बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ में किया गया। पतंजलि में मकर सक्रांति से प्रारंम्भ हुआ महापरायण यज्ञ की भी पूर्ण आहुति मंगलवार के पावन दिन पर दी गई। वेदों के मंत्रों के उच्चारण के बीच समाप्त हुए महापरायण यज्ञ पर स्वामी बाबा रामदेव ने कहा कि सभी माता-बहनें अपने बच्चों में अच्छे संस्कार देने की कोशिश करें क्योंकि माता-पिता का एक धर्म है। स्वामी रामदेव ने कहा कि राष्ट्र भी एक धर्म है उसी प्रकार राष्ट्र में रहने वाले नागरिकों का भी एक धर्म होता है जिसका निर्वहन पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करना चाहिए। उन्होंने कृषि को भी धर्म के साथ जोड़ा, क्योंकि किसान का धर्म राष्ट्र के नागरिकों का पोषण करना होता है। उसी प्रकार उद्योगों को भी स्वामी ने धर्म के साथ जोड़ते हुए कहा कि उद्योग भी एक धर्म है जो राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को निरंतर गतिवान बनाए रखता है जिस कारण कोई भी राष्ट्र स्वयं को गौरवांवित महसूस करता है। आचार्य बालकृृृष्ण ने वसंत पंचमी पर सभी देशवासियों व समस्त पतंजलि परिवार को शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि आज का दिन आयुर्वेद के गौरव का दिन है जब वनस्पतियां अपना रंग-रूप बदलती हैं जिसके कारण सम्पूर्ण वातावरण में उष्णता के कारण प्रसन्नता की अनुभूति होती है। जिसका व्याख्यान बेल, लताओं द्वारा स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। वसंत ऋतु पर आचार्य ने कहा कि जिस प्रकार वातावरण में परिवर्तन आता है उसी प्रकार से मानव शरीर में भी परिवर्तन आते हैं। इसलिए शरीर की शुद्धि के लिए उपवास व व्रत रखने अति आवश्यक हैं। वसंत ऋतु पर विद्यार्थियों को निर्देशित करते हुए आचार्य ने कहा है कि विद्यार्थीगण वेद पाठों का स्मरण करें व वेदों को अपने घर में रखें क्योंकि वेद हमारी सनातन परंपरा का हिस्सा हैं। वेदों की संस्कृति के कारण भारत को देश-दुनिया में इतनी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। आज के महापरायण यज्ञ के समापन समारोह में श्रीपदमसैन आर्य व उनका समस्त परिवार सम्मिलित था। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत-hindusthansamachar.in

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